केजरीवाल की विदेश यात्रा पर लगा ब्रेक, तो सिंगापुर सरकार ने निमंत्रण लिया वापस

नई दिल्ली: सिंगापुर में आयोजित होने वाले सम्मेलन में जाने से वंचित दिल्ली मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से सिंगापुर सरकार ने निमंत्रण वापस ले लिया है. सिंगापुर सरकार की तरफ से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को एक मेल भेजा गया है. सिंगापुर सरकार ने वहां विश्व शहरों के शिखर सम्मेलन में अरविंद केजरीवाल की भागीदारी के बारे में एक अपडेट भेजा है. विदेश मंत्रालय के अनुसार, मेजबान द्वारा “निमंत्रण में परिवर्तन” को दिल्ली सरकार के साथ साझा किया गया है.

सिंगापुर सरकार की तरफ से मिली जानकारी के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय ने गुरुवार को अपना पक्ष रखा है. मुख्यमंत्री कार्यालय की तरफ से कहा गया है कि अरविंद केजरीवाल यदि सिंगापुर में आयोजित होने जा रहे वर्ल्ड सिटी समिट में नहीं जा पा रहे हैं और इसकी वजह से दिल्ली के साथ-साथ देश को अपमानित होना पड़ा है. इसके जिम्मेदार सिर्फ़ और सिर्फ केंद्र सरकार हैं. मुख्यमंत्री की यात्रा की अनुमति संबंधी फाइल उपराज्यपाल (एलजी) को 7 जून को ही भेज दी गई थी. एलजी करीब डेढ़ माह तक चुप बैठे रहे और 21 जुलाई को फाइल वापस लौटा दी. तब तक न सिर्फ काफ़ी विलंब हो चुका था, बल्कि यात्रा संबंधी औपचारिकताएं पूरी करने की 20 जुलाई तक की समय सीमा भी ख़त्म हो चुकी थी.

मुख्यमंत्री कार्यालय की तरफ से कहा गया है कि इससे साफ है कि केंद्र सरकार की मंशा मुख्यमंत्री को अंतरराष्ट्रीय मंच पर दिल्ली में शिक्षा और स्वास्थ्य के अलावा अन्य क्षेत्रों में हुए विश्वस्तरीय कामकाज के बारे में बताने से रोकने की थी. केंद्र सरकार की मंशा बेशक पूरी हुई हो, लेकिन इससे देश को वैश्विक समुदाय के बीच जिस तरह से नीचा देखना पड़ा है, उसके ज़िम्मेदार भी वही है.

सिंगापुर में आयोजित होने वाले सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए बीते दिनों मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री को भी पत्र लिखा था. पत्र में सीएम ने लिखा है कि दिल्ली मॉडल को विश्व स्तरीय सम्मेलन में प्रस्तुत करने के लिए गत जून माह में सिंगापुर सरकार ने न्योता दिया था. जिसमें दुनिया भर के कई बड़े नेताओं के सामने दिल्ली मॉडल प्रस्तुत किया जाना है. आज सारी दुनिया दिल्ली मॉडल के बारे में जानना चाहती है. ये न्योता देश के लिए गौरव और मान की बात है. किसी मुख्यमंत्री को इतने महत्वपूर्ण मंच पर जाने से रोकना देशहित के ख़िलाफ़ है. उन्होंने सम्मेलन में जाने के लिए जल्द से जल्द अनुमति देने की मांग की है. ताकि इससे देश का नाम ऊंचा कर सकें.

बता दें कि प्रोटोकॉल के अनुसार मुख्यमंत्री समेत किसी भी मंत्री को विदेश यात्राओं के लिए आधिकारिक रूप से गृह मंत्रालय से मंजूरी लेनी होती है. मंजूरी के लिए फाइल उपराज्यपाल कार्यालय के जरिए गृह मंत्रालय को भेजी जाती है. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सिंगापुर दौरे की फ़ाइल भी उपराज्यपाल वीके सक्सेना के पास भेजी गई है. वहां से 21 जुलाई को फ़ाइल लौटा दी गयी. उपराज्यपाल ने कहा कि सम्मेलन में मेयरों को बुलाया गया है, मुख्यमंत्री को नहीं. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल शहरों से जुड़े विश्व शिखर सम्मेलन (31 जुलाई -3 अगस्त) में भाग लेने के लिए अनुमति मांगी थी.

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