वॉशिंगटन/नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ब्रांडेड और पेटेंट दवाओं पर 100% आयात शुल्क लगाने की घोषणा की है। यह कदम भारत के फार्मा सेक्टर के लिए चिंता का विषय बन गया है। नए टैरिफ 1 अक्टूबर से लागू होंगे। इसके अलावा, किचन कैबिनेट और बाथरूम वैनिटी पर 50%, गद्देदार फर्नीचर पर 30%, और भारी ट्रकों पर 25% टैरिफ लगाया जाएगा।
भारत पिछले वित्त वर्ष में लगभग 2.5 लाख करोड़ रुपये की दवाइयाँ दुनिया को निर्यात कर चुका है, जिसमें से 77,000 करोड़ रुपये का निर्यात सिर्फ अमेरिका को हुआ था। इस फैसले से डॉ. रेड्डीज़, सन फार्मा और लुपिन जैसी कंपनियों को सबसे अधिक असर पड़ने की संभावना है। हालांकि, अमेरिका में निर्माण प्लांट लगाने वाली कंपनियों पर यह टैरिफ लागू नहीं होगा।
टैरिफ की घोषणा ऐसे समय में हुई है जब अमेरिका और पाकिस्तान के बीच राजनीतिक और सैन्य संपर्क बढ़ रहे हैं। ट्रंप ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख आसिम मुनीर से हाल ही में मुलाकात की है। जवनारलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. संजय पांडे के अनुसार, पाकिस्तान अमेरिका के लिए रणनीतिक दृष्टि से अहम है, लेकिन टैरिफ बढ़ाने के फैसले में कई अन्य व्यापारिक और भू-राजनीतिक कारण भी शामिल हो सकते हैं।
यह पहला मौका नहीं है जब अमेरिका ने भारत पर टैरिफ बढ़ाया है। 2025 में रूस से तेल खरीदने के चलते भारत पर पहले ही 50% टैरिफ लागू किया जा चुका है। अब दवाओं सहित कई अन्य उत्पादों पर नए शुल्क ने भारतीय निर्यातकों के लिए चुनौती और बढ़ा दी है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम अमेरिका की संरक्षणवादी नीति का हिस्सा है और इसके चलते भारत को वैश्विक फार्मा बाजार में नई रणनीतियाँ अपनानी पड़ सकती हैं।