गोलाबारी से बेखौफ, बॉर्डर के गांवों में डटे लोग: ‘यहीं जन्मे हैं, यहीं रहेंगे’

भारत के ऑपरेशन सिंदूर से बौखलाया पाकिस्तान सीमा पर गोलाबारी कर रहा है, जिससे सीमावर्ती गांवों में तनाव बढ़ गया है। मढ़ विधानसभा क्षेत्र के कानाचक, गोलपत्तन, दियोड़ा नपू, सांदवा, मकवाल, गजनसू और नई बस्ती सहित अन्य गांवों में लोग हालात के बावजूद डटे हुए हैं। चिक नेक बार्डर होने के कारण ये गांव अब तक गोलाबारी से सुरक्षित हैं।

प्रशासन ने दी सुरक्षित स्थानों पर जाने की सलाह

तनाव के बावजूद ग्रामीणों में पाकिस्तान को सबक सिखाने का जज्बा कायम है। पुलिस और प्रशासन ने गांवों में जाकर लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने की सलाह दी है, लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि वे अपना पैतृक स्थान छोड़कर नहीं जाएंगे। बुजुर्गों का कहना है कि उन्होंने 1965 और 1971 की जंग भी देखी है और तब भी गांव में ही रहे थे।

देशभक्ति के जज्बे के आगे डर नहीं

दियोड़ा नपू के बुजुर्ग ओमप्रकाश का कहना है कि वे बार्डर पर रहने वाले लोग डरते नहीं हैं और सरकार से अपील करते हैं कि वह दुश्मनों को करारा जवाब दे। लंबरदार शाम लाल ने बताया कि महिलाओं और बच्चों को रिश्तेदारों के घर भेज दिया गया है, लेकिन पुरुष गांव में ही रहकर सेना का साथ देंगे।

बंकरों में सुरक्षित हैं ग्रामीण

रतन लाल ने बताया कि प्रशासन ने बंकरों में रहने की सलाह दी है। ग्रामीणों ने बंकरों की साफ-सफाई कर ली है और वहीं सुरक्षित हैं। उनका मानना है कि पाकिस्तान में अब दोबारा हमला करने की हिम्मत नहीं बची। हुसैन मोहम्मद ने कहा कि 40 साल से यहीं रह रहे हैं और अब इस जगह को छोड़ना नामुमकिन है। महिलाओं और बच्चों को बंकरों में रखा गया है और राशन भी पहले से जमा कर लिया है।

सीमावर्ती गांवों में तनाव, लेकिन हौसला बरकरार

भारत की कार्रवाई से देशभर में खुशी है, लेकिन सीमावर्ती गांवों में सतर्कता है। एसडीएम मढ़ अत्तर अमीन जागर और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों ने गांवों का दौरा कर हालात का जायजा लिया। बंकरों की स्थिति भी परखी गई। लोगों से अपील की गई कि महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग सुरक्षित स्थानों पर रहें। सीमावर्ती बाजार और स्कूल भी बंद कर दिए गए हैं। प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि जरूरत पड़ने पर सुरक्षित स्थानों पर ग्रामीणों को पहुंचाया जाएगा।

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