नागपुर। समाज में जाति व्यवस्था को खत्म करने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ RSS ने पहल शुरू की है। इसके तहत आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत ने शुक्रवार को कहा कि वर्ण और जाति जैसी अवधारणा को पूरी तरह खत्म करने की जरूरत है। एक किताब के विमोचन के कार्यक्रम में भागवत ने कहा कि इनकी अभी कोई प्रासंगिकता नहीं है। उन्होंने सामाजिक भेदभाव को भी खत्म करने की वकालत की। मोहन भागवत इससे पहले भी जातिप्रथा और आरक्षण के खिलाफ बयान दे चुके हैं। मोहन भागवत ने कहा कि सामाजिक समानता हमारे भारतीय समाज का हिस्सा थी, लेकिन इसे भुला दिया गया। इसके हानिकारक नतीजे हुए हैं।
उन्होंने कहा कि जाति अतीत की बात है, उसे भूल जाना चाहिए। आरएसएस प्रमुख ने कहा कि गलतियों को मानने में किसी को दिक्कत नहीं होनी चाहिए। अगर लगता है कि हमारे पूर्वजों ने गलती की, तो ऐसा नहीं है कि वे हीन हो जाएंगे। गलती तो सभी के पूर्वजों ने की है। मोहन भागवत का ये बयान इस मायने में अहम है, क्योंकि आरएसएस पर ये आरोप कुछ लोग लगाते हैं कि उसने अपने संगठन से दलितों और पिछड़ों को दूर कर रखा है और आज तक कोई दलित या पिछड़ा उसके सबसे अहम पदों तक नहीं पहुंचा है।
इससे पहले मोहन भागवत ने बीते बुधवार को जनसंख्या पर बयान दिया था। उन्होंने बढ़ती जनसंख्या के कारण होने वाले नुकसान गिनाए थे और जनसंख्या नियंत्रण कानून की वकालत की थी। उन्होंने कहा था कि ऐसी जनसंख्या नीति बननी चाहिए, ताकि वो सभी पर एक समान रूप से लागू हो। संघ प्रमुख के इस बयान का असदुद्दीन ओवैसी जैसे कई मुस्लिम नेताओं ने विरोध किया था। केरल में कांग्रेस ने इसे राजनीतिक फायदे के लिए समुदाय में घृणा फैलाने वाले सांप्रदायिक एजेंडा का हिस्सा बताया था। बता दें कि केंद्र सरकार ने लगातार कहा है कि उसका अभी जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने का कोई इरादा नहीं है, लेकिन पिछले करीब एक साल से ये मांग देशभर में लगातार उठ रही है।