भारत के साथ व्यापार और रेल बंद.. लेकिन समझौता एक्सप्रेस के 21 कोच वापस नहीं कर रहा पाकिस्तान

आर्थिक कंगाली के लिए दुनिया भर में बदनाम पड़ोसी पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान भारतीय रेलवे के 21 कोच दबाए बैठा है। अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद पाकिस्तान ने दोनों देशों के बीच चलने वाली समझौता एक्सप्रेस बंद कर दी थी, लेकिन समझौता एक्सप्रेस व एक मालगाड़ी के समेत कुल 21 कोच अब भी पाकिस्तान में ही हैं। इनमें कुछ कोच की हालत तो काफी खराब हो चुकी है और कुछ का इस्तेमाल पाकिस्तान अपनी रेलों में कर रहा है।

अटारी रेलवे के स्टेशन मास्टर और चीफ एरिया मैनेजर त्रिलोक सिंह का कहना है कि छह साल में कई बार रिमाइंडर दिए जाने के बाद भी पाकिस्तान भारतीय रेल के कोच वापस नहीं कर रहा है। भारत की ओर से इन्हें कई बार लौटाने के बारे में लिखा जा चुका है। मगर अपनी बदहाली की वजह से पाकिस्तान इन कोच को वापस करने को तैयार ही नहीं है। पाकिस्तान को भी मालूम है कि अगर उसे अपने देश में 21 रेल के डिब्बे तैयार करने हों तो इस पर करोड़ों रुपये खर्च होंगे। ऐसे में वह भारतीय डिब्बों को अपनी जागीर बनाए बैठा है।

7 अगस्त, 2019 में आखिर बार पाकिस्तान गई थी समझौता एक्सप्रेस

समझौता एक्सप्रेस भारत और पाकिस्तान के बीच सप्ताह में दो दिन दौड़ती थी। विभाजन से पहले से अटारी से लाहौर तक बिछी पटरी पर इसका आवागमन होता था। शिमला समझौते के बाद 22 जुलाई, 1976 को लाहौर से अमृतसर के बीच इसे शुरू किया गया था। 1994 से इसे अटारी और लाहौर के बीच चलाया जाने लगा। भारत और पाक के बीच चलने वाली समझौता एक्सप्रेस 7 अगस्त, 2019 को आखिरी बार पाकिस्तान गई थी। 8 अगस्त, 2019 को समझौता एक्सप्रेस को पाकिस्तान ने बंद कर दिया था। इस कारण इस ट्रेन के 11 कोच पाकिस्तान में फंस गए। इसके साथ ही उसी समय दौरान मालगाड़ी के 10 डिब्बे भी माल लेकर पाकिस्तान गए थे। इस तरह कुल 21 कोच वहां फंसे हैं।

अनुच्छेद 370 हटाए जाने पर बौखला गया था पाकिस्तान

भारत सरकार की ओर से साल 2019 में जम्मू-कश्मीर में लागू अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया था। इससे पाकिस्तान पूरी तरह से बौखला गया था। भारत के साथ रिश्ते तोड़ने के तहत समझौता एक्सप्रेस को रद्द कर दिया। ऐसे में उस समय गाड़ी भारत की तरफ से पाकिस्तान जा चुकी थी, जिसे वापिस नहीं भेजा गया। इसके अलावा उस समय व्यापार भी जारी था और मालगाड़ी भी जा चुकी थी। इसलिए उसके डिब्बे वहीं पर रह गए थे।

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