राधे-राधे, जय बांकेबिहारी जी, मैं आपको यह पत्र भेज रहीं हूं। इसे स्वीकार करना और हमारे दुख-दर्द दूर करना। यह संदेश भेजा है दिल्ली की रहने वाली एक बहन का, जिन्होंने वृंदावन के ठाकुर बांकेबिहारी को अपना भाई मानकर राखी भेजी है। संदेश में बहन ने ठाकुर बांकेबिहारी से अपनी रक्षा करने का संकल्प लिया है।
बड़ी संख्या में ऐसी बहनों ने ठाकुर बांकेबिहारी महाराज को अपना भाई मानते हुए आस्था के पवित्र बंधन से बांध लिया है। जन-जन के आराध्य ठाकुर बांकेबिहारी को देश-विदेश से बहनें राखियां भेज रहीं हैं। राखियों के साथ भेजी पाती में अपनी समस्याओं और परिवार की सुख, शांति और समृद्धि की कामना की गई है।
विदेशों से भी आईं राखियां
बांकेबिहारी मंदिर के सेवायत प्रह्लाद वल्लभ गोस्वामी ने बताया कि ऑस्ट्रेलिया निवासी स्वेता भटनागर ने ठाकुरजी को राखी के साथ-साथ एक पत्र में लिखा है कि मैं स्वयं तो वहां उपस्थित नहीं हो सकती लेकिन मैं आत्मा से आपको अपना भाई मानते हुए आपसे अपनी रक्षा का वचन मांगती हूं। मेरी राखी को स्वीकार कीजिएगा। वहीं कोलकाता, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा से भी हजारों राखियां बांकेबिहारी मंदिर पहुंची हैं। ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर के प्रबंधक मुनीष शर्मा ने कहा कि हर वर्ष रक्षाबंधन से पहले भारत के कई शहरों के साथ ही अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, कनाडा, लंदन के साथ खाड़ी देशों से राखियां आती हैं। इस साल भी हजारों राखियां मंदिर कार्यालय में पहुंची हैं। इन राखियों को 11 अगस्त रक्षाबंधन वाले दिन ठाकुर बांकेबिहारी जी के श्री चरणों में रखा जाएगा।
राखी के साथ भेजा रेनकोट
महाराष्ट्र के पुणे से राखी के साथ रोली, चावल, कलावा के अलावा दो रेनकोट भी भेजे गए हैं। इस पैकेट में बहन ने पत्र भी भेजा है। शुक्रवार को मंदिर के कर्मचारियों ने जब पैकेट खोलकर देखा तो उसमें रेनकोट रखा पाया।
मंदिर के कर्मचारी दिनेश ने राखी के साथ आए पत्र को जब पढ़ा तो उसके लिखा था कि सपने में मैंने देखा कि बिहारीजी और राधारानी निधिवन में रास कर रहे हैं। उसी दौरान बारिश हो जाती है, जिसमें दोनों भींग गए। निधिवन जाते और रास रचाते समय ठाकुरजी और राधारानी बरसात में न भीगें, इसलिए रेनकोट भेज रही हूं।