सामान्यतः सरकारी अधिकारियों, कर्मचारियों पर कार्य के प्रति गैरजिम्मेदारी, उपेक्षा अथवा लापरवाही बरतने के आरोप लगते रहते हैं। भ्रष्टाचार अथवा घुसखोरी के आरोप तो सामान्य है। यह एक दुःखद स्थिति है कि इस प्रकार के आरोप प्रायः सत्य होते हैं। इस सब के बावजूद कभी-कभी कर्तव्य परायणता अथवा मानवीय संवेदना का सुखद रूप सामने आकर मन को आह्लादित करता है जो यह सिद्ध करता है राजकीय सेवा, विभागों में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो न सिर्फ अपनी कार्य निष्ठा पर ध्यान देते हैं वरन् उनके मन में इंसानियत का जज़्बा भी मौजूद रहता है।
अभी 9 जून को कर्तव्य परायणता की एक मिसाल सामने आई। धनबाद से फिरोज़पुर जा रही सतलज एक्सप्रेस के एसी फर्स्ट कोच में रुक्मणी नामक महिला सवार थी। बीमारी के कारण रुक्मणी को सिलेंडर के ज़रिये ऑक्सीजन दी जा रही थी कि सिलेंडर की गैस समाप्त हो गई। ऑक्सीजन न मिलने से रुक्मणी की जान खतरे में पड़ गई। परिजनों ने ट्रेन के मैनेजर सन्तोष कुमार को सूचित किया। उन्होंने ने एकक्षण भी गंवाये बिना अपने निजी संपर्कों को टटोला, मोबाइल फोन से बात की, हेल्प लाइन की भी सहायता ली। सन्तोष कुमार ने बालामऊ रेलवे स्टेशन पर ट्रेन रुकवाई जहां नॉर्दर्न रेलवे मैंस यूनियन के कुंवर सोहेल खालिद ऑक्सीजन गैस से भरा सिलेंडर लिए खड़े मिले और रुक्मणी की जान बच गई।
हम सन्तोष और सोहेल को दिल से सलाम करते हैं। उन्होंने इंसानियत के वकार को ऊंचा उठाया है। साथ ही हमारा रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव से आग्रह है कि वे अपने दोनों अधिकारियों को सम्मानित-पुरस्कृत करें जिन्होंने देश के सरकारी मुलाजिमों के समक्ष मनुष्यता एवं कर्तव्यनिष्ठा का स्वर्णिम उदाहरण प्रस्तुत किया है।
इसी के साथ रेलमंत्री जी से यह भी आग्रह कि वे उन सभी लोको पायलट्स तथा सहायक पायलटों को भी पुरस्कृत करें जिन्होंने इमरजेंसी ब्रेक लगा कर ट्रेन, मालगाड़ियां पलटने की साजिशों को नाकाम किया है। भारत में रहने वाले देश के गद्दार ट्रेन उलट कर पूरे देश में अफरा तफरी का माहौल बनाना चाहते हैं। देश में यात्री एवं मालगाड़ियों को पलटने की 100 से अधिक कोशिशें हो चुकी हैं। यदि गाड़ियों के चालक, सह चालक सावधानी न बरतते तो देश में कोहराम मच गया होता। हाल ही में कुछ रेल दुर्घटनायें हुई भी है किन्तु जांच का नाम लेकर यह नहीं बताया गया कि कितनी दुर्घटनाएं साजिश के कारण हुईं।
जरा उस स्थिति की कल्पना कीजिए जब देश के गद्दार एकसाथ अनेक रेल दुर्घटनाओं को अंजाम देंगे? यह कोई कोरी भयावह कल्पना नहीं है। जिस प्रकार शत्रु भारत को चारों ओर से घेर रहा है, उसमें सब संभव है। रेल मंत्री से पूछा जा सकता है कि ट्रेन उलटने की इतनी साजिशों के बावजूद वे कितने दोषियों को सजा दिलवाने में कामयाब हुए? बुलेट ट्रेन, देश के रेलवे स्टेशनों का उच्चीकरण या स्मार्ट स्टेशन, सरकार की बड़ी एवं सराहनीय उपलब्धियां है किन्तु दुष्टों से सुरक्षा सबसे बड़ी जिम्मेदारी है।
भारत सरकार को रेलवे प्रोटेक्शन एक्ट तथा फौजदारी कानून संहिता में साजिशकर्ताओं को आजीवन कारावास का प्रावधान कराना चाहिए। किसी बड़ी ट्रेन दुर्घटना पर चिल्ल पुकार मचे इससे पूर्व यह कदम उठ जाना चाहिए।
गोविंद वर्मा
संपादक ‘देहात’