सनातन धर्म में सावन माह को अत्यंत पुण्यदायक माना गया है। यह महीना विशेष रूप से भगवान शिव की भक्ति और आराधना के लिए समर्पित होता है। सावन के सोमवार को भक्त उपवास रखते हैं और जलाभिषेक कर शिवजी को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन की गई श्रद्धापूर्वक पूजा से महादेव शीघ्र प्रसन्न होते हैं।
21 जुलाई को दुर्लभ संयोग
इस वर्ष सावन का दूसरा सोमवार 21 जुलाई को पड़ रहा है, जो अपने साथ कामिका एकादशी का पावन संयोग भी लेकर आ रहा है। सावन में पड़ने वाली एकादशी को कामिका एकादशी कहा जाता है, जो भगवान विष्णु की उपासना का विशेष दिन माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
एक दिन, दो पुण्य अवसर
धार्मिक विद्वानों के अनुसार, जब सावन सोमवार और कामिका एकादशी एक ही दिन पड़ते हैं, तो शिव और विष्णु की संयुक्त आराधना करने से व्रत का पुण्यफल कई गुना बढ़ जाता है। यह संयोग श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत कल्याणकारी माना जा रहा है।
शुभ योगों से बना है खास दिन
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस दिन वृद्धि योग, सर्वसिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग का भी विशेष संयोग बन रहा है। इन शुभ योगों में की गई पूजा और आराधना अत्यधिक फलदायी मानी जाती है।
शिव और विष्णु का एक साथ पूजन होगा लाभकारी
इस दिन यदि श्रद्धालु भगवान शिव और श्रीहरि विष्णु की संयुक्त रूप से पूजा-अर्चना और जलाभिषेक करते हैं, तो उन्हें दोनों व्रतों का संयुक्त पुण्य प्राप्त होता है, जिससे व्रत का महत्व और अधिक बढ़ जाता है।
पूजन के लिए शुभ मुहूर्त
- वृद्धि योग: शाम 6:39 बजे तक
- सर्वसिद्धि योग: पूरे दिन
- अमृत सिद्धि योग: रात 9:00 बजे से
इन मुहूर्तों में किसी भी समय शिव-विष्णु पूजन किया जा सकता है।
क्या करें, क्या न करें
शिव और विष्णु की एक साथ पूजा करते समय यह ध्यान रखना आवश्यक है कि भगवान विष्णु को तुलसी अर्पित करें, लेकिन भगवान शिव को तुलसी अर्पित करना वर्जित माना गया है। इसके साथ ही तुलसी मिश्रित जल का प्रयोग शिवाभिषेक में नहीं करना चाहिए।