आज, यानी 21 जुलाई, 2025 के वर्षाकालीन अधिवेशन के प्रथम दिन संसद के दोनों सदनों की कार्रवाई पार्लियामेंट टीवी पर देखी। लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला ने आरम्भ में दिवंगत सदस्यों, 22 अप्रैल के पहलगाम नरसंहार में प्राण खोने वालों तथा अहमदाबाद विमान दुर्घटना के मृतकों को श्रद्धांजलि देने और भारतीय अन्तरिक्ष यात्री शुमांशु शुक्ला को सफल अन्तरिक्ष-यात्रा पर बधाई देने के बाद प्रश्नकाल शुरु हुआ तो सदन में हुल्लड़ मचाने की तैयारी करके आये विपक्षी सदस्यों ने हंगामा मचाना शुरु किया। सदन में कुछ भी सुनाई नहीं पड़ रहा था। अध्यक्ष ने विपक्षी सदस्यों से कहा कि वे प्रश्नकाल के समय का उपयोग करें। सरकार आपके प्रश्नों को सुनने और उत्तर देने को तैयार है। सदन की मर्यादा को भंग न करें। किन्तु वे कार्रवाई न चलने देने का इरादा किये हुए थे। अन्ततः अध्यक्ष ने कहा- आप को नारे लगाने हैं तो बाहर जाकर नारे लगायें। अपनी अपील का कोई प्रभाव पड़ता न देख अध्यक्ष महोदय ने 12 बजे तक के लिए सदन को स्थगित कर दिया।
दूसरी ओर राज्यसभा में पोत परिवहन जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने ब्रिटिशकालीन जलमार्ग परिवहन तथा व्यापार कानून को रद्द कर नये कानून का मसौदे के अनुसार उसे पारित करने का प्रस्ताव सदन में पेश किया। विपक्ष शोर मचाता बहिर्गमन कर गया और सदन में सहज शांतिपूर्ण वातावरण बन गया। उपसभापति श्री हरिवंश की अध्यक्षता में सदन की कार्रवाई आरंभ हुई। उत्तरप्रदेश से सांसद श्री अरुण सिंह ने बन्दरगाहों व समुद्री व्यापार से संबंधित तुलनात्मक आंकड़े देते हुए बताया कि कैसे दस वर्षों में भारत ने समुद्री व्यापार व बन्दरगाहों का विकास किया और विश्व में अपना ऊंचा स्थान प्राप्त किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ब्रिटिशकालीन 1500 कानून रद्द किए और देश की प्रगति के लिए नये कानून बनाये। यह अधिनियम भी 2047 तक भारत को श्रेष्ठ उन्नत भारत बनायेगा।
बिना किसी व्यवधान हंगामा, गुलगपाडे के महाराष्ट्र के अजित माधवराव ने विस्तार के साथ बताया कि भारत में विदेशी हमलावरों से बहुत पहले रामदेवराय, कृष्णदेव राय, चोल राजाओं, राजा विक्रमादित्य, छत्रपति शिवाजी महाराज ने बन्दरगाहों व जलमार्गों की स्थापना की जिससे भारत स्वर्ण भूमि कहलाया। प्रधानमंत्री ने सागरमाला के अन्तर्गत हरित सागर, हरित नौकायन का मार्ग दिखाया। कांग्रेस तो इसकी कल्पना तक नहीं कर सकती। विदेशी हमारे समुद्रों को ब्लू मनी मानते हैं, किन्तु ये हमारे जलदेवता हैं। इस कानून से भारत का बहुमुखी विकास होगा। आने वाली पीढ़ियां मोदी जी का इसके लिए आभार मानेंगी। सर्वश्री मस्तान राव, रविचन्द्र, निरंजन बिशी, अशोक मित्तल ने भी शान्तिपूर्व वातावरण में विधेयक पर विचार रखे। पोत परिवहन एवं जल मार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने विधेयक पर बोलने वाले सदस्यों के विचारों एवं उनके संशोधन प्रस्तावों का शालीनता से जवाब दिया। आप के सांसद अशोक मित्तल ने इसे नई बोतल में पुरानी शराब बताया, मंत्री ने उनका भी तर्क संगत उत्तर दिया। मतविभाजन में उप सभापति जी ने विधेयक को प्रारित घोषित कर दिया।
राज्यसभा की कार्रवाई बिना व्यवधान के शांतिपूर्ण चलने से देश ने पार्लियामेंट टीवी के जरिये देखा कि सरकार भारत और भारतवासियों के उत्थान के लिए कैसे प्रयासरत है। माननीय जनप्रततिनिधि कितनी विद्वता और शिद्दत के साथ जनहित के मुद्दों पर बोलते हैं।
विपक्ष के व्यवधान रहित सदन में माननीय सदस्यों ने कुछ निजी प्रस्ताव भी प्रस्तुत किये। उदाहरणार्थ श्री अजीत यादव गोपछड़े ने धोखाधड़ी वाले वैवाहिक विज्ञापन का मामला उठाया। उन्होंने बताया कि एक व्यक्ति ने मैट्रिमोनियल के 6 फर्जी एप बना कर विवाह के इच्छुक 500 युवक-युवतियों को ठगा। ऐसी धोखाधड़ी रोकने की मांग की। डा. भीमसिंह ने भीमराव अम्बेडकर, वीर सावरकर, स्वामी सहजानन्द सरस्वती की राष्ट्र के प्रति सेवाओं के लिए इन्हें सम्मानित करने की मांग की। श्री ब्रजपाल ने गन्ना उत्पादकों की समस्या, ड्रिप इरिगेशन, रेन वाटर हार्वेस्टिंग पर प्रस्ताव रखा तो अन्य कई माननीय सदस्यों ने किसानों के खेतों से गैस पाइप लाइनें गुजारने की समस्या, ग्रामीण क्षेत्रों में कैंसर के इलाज, शहरों में बच्चों के लिए खेल के मैदानों व सहकारी चीनी मिलों, एथनाल आदि मुद्दों पर विचार व्यक्त किये।
यक्ष प्रश्न है कि यदि हंगामे पर उतारू विपक्ष सदन में होता तो क्या माननीय उपसभापति श्री हरिवंश एवं पीठासीन अधिकारी डॉ. सस्मित पात्रा जी सदन की कार्रवाई इसी आसानी से चला पाते? सदन की मर्यादा को तार-तार करने और लोकतंत्र की गरिमा को नित्यप्रति ठेस पहुंचाने वालों को रोकपाना असम्भव दीखता है।
गोविंद वर्मा
संपादक ‘देहात’