एनजीटी ने पीएम के तीन वाहनों की अवधि बढ़ाने की एसपीजी की याचिका की खारिज

राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) ने स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) द्वारा प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए जरूरी तीन डीजल से चलने वाले विशेष बख्तरबंद वाहनों के पंजीकरण को बढ़ाने की मांग को खारिज कर दिया है।

एनजीटी की मुख्य पीठ के अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव और विशेषज्ञ सदस्य डॉ. ए सेंथिल वेल ने 22 मार्च के अपने आदेश में एसपीजी के आवेदन को खारिज कर दिया। उन्होंने इसे खारिज करने का कारण अक्तूबर 2018 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को बताया। जिसके तहत दिल्ली-एनसीआर की सड़कों पर 10 साल से ज्यादा पुराने डीजल वाहनों के चलने पर रोक लगा दी गई थी।

पीठ ने कहा, “हम इस तथ्य से अवगत हैं कि ये तीन वाहन विशेष प्रयोजन वाले वाहन हैं जो आम तौर पर उपलब्ध नहीं होते हैं। और ये वाहन पिछले 10 वर्षों में बहुत कम चले हैं और प्रधानमंत्री की सुरक्षा के विशिष्ट उद्देश्य के लिए जरूरी हैं।

लेकिन माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश के मद्देनजर दिनांक 29.10.2018… दायर की गई याचिका… मंजूर नहीं की जा सकती” और इसे “उसी तरह खारिज किया जाता है।”

एनजीटी के समक्ष एसपीजी ने परिवहन विभाग, दिल्ली सरकार/पंजीकरण प्राधिकरण को “विशेष बख्तरबंद वाहनों (03 संख्या) के पंजीकरण की अवधि को पांच वर्षों तक यानी 23/12/2029 तक बढ़ाने की अनुमति देने” का आदेश देने की मांग की थी। एसपीजी का कहना था कि “ये वाहन विशेष सुरक्षा समूह के तकनीकी रसद का जरूरी और अभिन्न अंग हैं।”

आदेश के अनुसार, 2013 में निर्मित और दिसंबर 2014 में पंजीकृत तीन रेनो एमडी-5 विशेष बख्तरबंद वाहनों ने पिछले 9 वर्षों में क्रमशः सिर्फ 6,000 किमी, 9,500 किमी और 15,000 किमी की दूरी तय की है। “क्योंकि इनका इस्तेमाल सिर्फ विशिष्ट सामरिक मकसद के लिए किया जा रहा है।”
 

हालांकि इसका पंजीकरण दिसंबर 2029 तक 15 साल की अवधि के लिए होने के बावजूद, सुप्रीम कोर्ट के 2018 के आदेश के मुताबिक 10 साल पूरे होने पर दिसंबर 2024 में इन वाहनों का पंजीकरण रद्द कर दिया जाएगा।

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