पटना
कोरोना वायरस की वजह से देशभर में लागू हुए लॉकडाउन के दौरान घरेलू हिंसा के कई मामले सामने थे। इससे बिहार भी अछूता नहीं रहा।
अप्रैल से जून तक बिहार में लगभग 759 घरेलू हिंसा के मामले दर्ज किए गए। ये बात पटना में एशियाई विकास अनुसंधान संस्थान (ADRI) की रिपोर्ट में सामने आई है। रिपोर्ट के अनुसार, कम आय वाले ग्रामीण घरों में घरेलू दुर्व्यवहार अक्सर देखा जाता है, लेकिन शहरी क्षेत्रों में रहने वाली महिलाएं इसका अपवाद नहीं हैं। बिहार राज्य महिला आयोग (BSWC) ने मई से अब तक 1,000 से अधिक ऐसी शिकायतें दर्ज की हैं।
बीएसडब्ल्यूसी के अध्यक्ष दिलमणि मिश्रा ने बताया कि लॉकडाउन की वजह से ऑफिस और स्कूल बंद होने के साथ ही कई जोड़े अपने रिश्तों में कठिनाइयों से गुजरे हैं। मौखिक रूप से किया गया दुर्व्यवहार, शारीरिक हिंसा के लिए आगे बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि अब जब अनलॉक का दौर राज्य में शुरू हो चुका है तो हमने अपने ऑफिस को फिर से खोल दिया है। ताकि पंजीकृत मामलों को निपटाया जा सके। उन्होंने उदाहरण के लिए कुछ केस के बारे में बताया…
केस नंबर-1
घरेलू हिंसा की शिकार फुलवारीशरीफ निवासी 23 वर्षीय सुनीता (बदला हुआ नाम) ने बताया कि वो एक गृहिणी हैं। पिछले साल सितंबर में एक ऑटो ड्राइवर के साथ उनकी शादी हुई थी। सब कुछ ठीक चल रहा था लेकिन इस साल जून में वो अपने माता-पिता के घर वापस चली आई। सुनीता ने कहा, “लॉकडाउन के दौरान आर्थिक तंगी के कारण, मेरे पति इतने निराश थे कि उन्होंने गालियां देनी शुरू कर दीं और मेरे साथ मारपीट की।”
केस नंबर-2
मौखिक दुर्व्यवहार की शिकार भावना सिंह (बदला हुआ नाम) ने दावा किया कि उसके पति और ससुराल वालों द्वारा कई मौकों पर उसके साथ बदसलूकी की गई। भावना ने बताया, “लॉकडाउन ने मेरी मेहनत पर पानी फेर दिया क्योंकि मेरे परिवार ने मुझसे खाना बनाने, साफ-सफाई करने और हर संभव तरीके से उनकी देखभाल करने की अपेक्षा की। जब मैंने उनकी मांगों को पूरा नहीं किया, तो उन्होंने भद्दे कमेंट पास किए।” भावना ने कहा कि वो कुछ दिनों के लिए अपने भाई के घर जाना चाहती हैं।