विवादों में घिरे कर्नाटक के जनता दल सेकुलर (JDS) सांसद प्रज्जवल रेवन्ना का मामला लगातार सुर्खियों में है। ताजा घटनाक्रम में विदेश मंत्रालय से भी इस संबंध में सवाल किया गया। कर्नाटक के सांसद के कथित तौर पर विदेश जाने की खबरों से जुड़े सवाल पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि उन्हें जर्मनी यात्रा के लिए विदेश मंत्रालय से अनुमति नहीं दी गई। रणधीर जायसवाल ने कहा कि सांसद प्रज्जवल ने सरकार से जर्मनी यात्रा के लिए मंजूरी नहीं मांगी। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘सांसद की जर्मनी यात्रा के संबंध में विदेश मंत्रालय से न तो कोई राजनीतिक मंजूरी मांगी गई थी और न ही जारी की गई। जाहिर है, कोई वीजा नोट भी जारी नहीं किया गया।’
प्रज्जवल रेवन्ना ने राजनयिक पासपोर्ट पर यात्रा की
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि राजनयिक पासपोर्ट धारकों के लिए जर्मनी की यात्रा करने के लिए कोई वीजा जरूरी नहीं होता। उन्होंने साफ किया कि विदेश मंत्रालय ने सांसद के लिए किसी अन्य देश के लिए कोई वीज़ा नोट भी जारी नहीं किया है। हालांकि, उन्होंने स्वीकार किया कि प्रज्जवल रेवन्ना ने राजनयिक पासपोर्ट पर यात्रा की थी।विज्ञापन
शक्सगाम घाटी में निर्माण का कड़ा विरोध; 1963 के चीन-पाकिस्तान सीमा समझौते को नहीं मानता भारत
चीन और सियाचिन से जुड़े शक्सगाम घाटी में निर्माण गतिविधियों के सवाल पर विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत ने जमीनी स्थिति में एकतरफा बदलाव के ‘अवैध’ प्रयास के खिलाफ मजबूती से अपना पक्ष रखा है। विदेश मंत्रालय (एमईए) के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने गुरुवार को कहा कि निर्माण की खबरों का गंभीरता से संज्ञान लेते हुए सरकार ने चीन के समक्ष कड़ा विरोध दर्ज कराया है। उन्हों साफ किया कि शक्सगाम घाटी ऐतिहासिल रूप से भारत का हिस्सा है। 1963 के तथाकथित चीन-पाकिस्तान सीमा समझौते को भारत ने कभी स्वीकार नहीं किया। इस समझौते के माध्यम से पाकिस्तान ने ‘अवैध रूप से’ इस क्षेत्र को चीन को सौंपने की साजिश की।
चीन के प्रयासों का कड़ा विरोध
विदेश मंत्रालय के मुताबिक भारत ने लगातार अपनी अस्वीकृति व्यक्त की है। हमने जमीनी हकीकत में बदलाव के अवैध प्रयासों के खिलाफ चीनी पक्ष के समक्ष अपना कड़ा विरोध दर्ज कराया है। प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, ‘हम अपने हितों की रक्षा के लिए जरूरी कदम उठाने का अधिकार सुरक्षित रखते हैं। बता दें कि शक्सगाम घाटी रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र है। फिलहाल यह भौगोलिक इलाका पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) का हिस्सा है।
अमेरिकी संस्था- USCIRF की रिपोर्ट पक्षपाती और राजनीतिक एजेंडे से प्रभावित
हाल ही में आई यूनाइटेड स्टेट्स कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम (यूएससीआईआरएफ) की रिपोर्ट पर विदेश मंत्रालय ने कहा, यह संस्था पहले भी अपनी रिपोर्ट जारी करती रही है। यूएससीआईआरएफ को एक पक्षपाती संगठन के रूप में जाना जाता है, जिसका अपना राजनीतिक एजेंडा है। यह संस्था वार्षिक रिपोर्ट के हिस्से के रूप में भारत से जुड़ा अपना दुष्प्रचार (propaganda) कर रही है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, हमें कोई उम्मीद नहीं है कि यूएससीआईआरएफ भारत के सबसे बड़े चुनावी अभ्यास, यहां की विविधता और लोकतांत्रिक मूल्यों को समझ सकेगा। चुनाव में हस्तक्षेप करने के प्रयासों में कभी सफलता नहीं मिलेगी।
2020 में ‘रहस्यमयी सूचनाओं को चुराने’ की कोशिश के कथित आरोपों के तहत ऑस्ट्रेलिया से निष्कासित किए गए दो भारतीय जासूसों के बारे में ऑस्ट्रेलियाई मीडिया रिपोर्ट से जुड़े सवाल पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, हम उन रिपोर्ट्स पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे। भारत सरकार ऐसी खबरों को काल्पनिक रिपोर्ट के रूप में देखती है।
क्या हैं ऑस्ट्रेलिया की मीडिया में आई खबरें
गौरतलब है कि बीते 30 अप्रैल और एक मई की दरम्यानी रात ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने दावा किया कि ऑस्ट्रेलिया ने संवेदनशील रक्षा परियोजनाओं और हवाई अड्डे की सुरक्षा से जुड़े गोपनीय सामान चुराने के प्रयास के आरोप में 2020 में दो भारतीय जासूसों को निष्कासित कर दिया था।
म्यांमार में तीन भारतीयों ने स्वदेश वापसी के लिए सरकार से संपर्क किया
विदेश मंत्रालय ने एक अन्य सवाल पर कहा कि म्यांमार में नौकरी की पेशकश के साथ ठगी का शिकार हुए भारतीय नागरिकों ने स्वदेश लौटने के लिए भारत से मदद मांगी है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि तीन भारतीयों ने स्वदेश वापसी के लिए संपर्क किया था। एक शख्स को पहले ही वापस लाया जा चुका है। उन्होंने कहा, म्यांमार से भारतीयों की स्वदेश वापसी के लिए भारत सरकार संबंधित विभागों के संपर्क में है। दूतावास यथाशीघ्र रिहाई की दिशा में काम कर रहा है।