हरियाणा में बनेंगी कृषि अदालतें, किसानो के विवादों का होगा निपटारा

कृषि अध्यादेशों को लेकर प्रदेश में चल रहे विरोध के दौर में हरियाणा सरकार ने किसानों से जुड़ी एक बड़ी घोषणा की है। हरियाणा में अब कृषि अदालतों का गठन किया जाएगा। ये अदालतें हर जिले में खोली जाएंगी। जहां किसानों और किसानी से जुड़े विवादों का निपटारा किया जाएगा। कृषि क्षेत्र से जुड़े अनुभवी लोग इन अदालतों में जज की भूमिका होंगे। 

प्रदेश सरकार इस संदर्भ में जल्द ही खाका तैयार कर इस दिशा में आगे बढ़ेगी। सीएम मनोहर लाल ने प्रेसवार्ता में बताया कि कृषि अध्यादेश वैसे तो केंद्र के दायरे की बात है। इसमें प्रदेश सरकार को कोई बहुत बड़ी भूमिका नहीं है। जो भी केंद्र कानून बनाएगा या बदलाव करेगा, उसे तो प्रदेश सरकार लागू करेगी। लेकिन हां, यदि इससे हमारे किसानों, आढ़तियों व अन्य हितधारकों के हित प्रभावित होते दिखते हैं तो हमारे पर प्रदेश सरकार की शक्तियों के अधीनस्थ सारे विकल्प खुले हैं। 
सीएम ने कहा कि हम अपनी सीमाओं में रहते हुए सभी हितधारकों को राहत देने का काम करेंगे और किसी के भी व्यापार पर आंच नहीं आने देंगे। सीएम ने आश्वस्त करते हुए कहा कि हम न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे किसी की फसल नहीं बिकने देंगे। इन अध्यादेशों का लाभ उठाते हुए किसान अपना अनाज सरकारी अनाज मंडियों के बाहर प्राइवेट ट्रेडर्स को भी बेच सकता है।
इस डील में यदि किसान के हित प्रभावित होते हैं या कोई विवाद होता है। तो इस स्थिति में वैसे तो केंद्र स्तर पर इस बाबत सुनवाई व विवाद निपटान हेतु विशेष बोर्ड गठित किए जाने की व्यवस्था की भी बात है। लेकिन फिर भी अपने किसानों के हितों को सुरक्षित रखने के लिए प्रदेश सरकार हरियाणा के हर जिले में कृषि अदालतें खोलने की प्लानिंग पर विचार कर रही है। जहां प्रदेश का किसान प्राइवेट मंडियों में अपने साथ होने वाले विवाद की याचिका डाल सकेगा। कृषि अदालतों को कैसे तैयार करना है, कौन इसमें जज होंगे और ये अदालतें कैसे काम करेंगी, इस संदर्भ में विचार-विमर्श चल रहा है

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