नई दिल्ली। हिंदुओं और सिखों का 104 लोगों का एक बड़ा जत्था अफगानिस्तान से एक विशेष विमान से शुक्रवार को नई दिल्ली पहुंचा। सरकार इन लोगों को भारत लाने के लिए लंबे समय से प्रयासरत थी जिसमें अब जाकर सफलता मिली है। इस जत्थे में 10 भारतीय नागरिक और शेष अफगानी नागरिक हैं। एक खास बात यह है कि अफगानिस्तान के गुरुद्वारों और काबुल के प्राचीन मंदिर में रखे गुरुग्रंथ साहिब, महाभारत, रामायण, गीता व दूसरे हिंदू ग्रंथों को भी सुरक्षित भारत लाया गया है। विशेष विमान की अगवानी के लिए इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी उपस्थित थे। इस दौरान भाजपा अध्यक्ष नड्डा और केंद्रीय मंत्री पुरी ने गुरु ग्रंथ साहिब को सिर पर रखकर कुछ दूरी पैदल चले।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बताया कि आपरेशन देवीशक्ति के तहत भारत सरकार ने काबुल से नई दिल्ली के लिए विशेष उड़ान की व्यवस्था की थी। इसमें 10 भारतीयों और 94 अफगानी नागरिकों को भारत लाया गया है। इनमें अफगानिस्तान के हिंदू-सिख अल्पसंख्यक समुदाय के प्रतिनिधि शामिल हैं। इनके साथ नौ बच्चे और तीन शिशु भी आए हैं। एक अन्य अधिकारी ने बताया कि काबुल स्थित पांचवी सदी के असमाई मंदिर से हिंदू धार्मिक ग्रंथों को भारत लाने की व्यवस्था की गई थी। कुछ दिन पहले तालिबान सरकार के प्रतिनिधियों ने इस मंदिर का दौरा किया था। जबकि तालिबान पुलिस के एक दल ने कुछ दिन पहले इस मंदिर की छानबीन की थी। इससे जो भी हिंदू वहां रह रहे थे, उनमें भय व्याप्त था।
काबुल के भारतीय दूतावास में नहीं है कोई भारतीय अधिकारी
यह पूछे जाने पर कि अफगानिस्तान में और कितनी संख्या में हिंदू या सिख बचे हुए हैं तो विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि इसका अभी कोई सही आकलन नहीं हो पाया है। वजह यह है कि वहां भारतीय दूतावास में कोई भारतीय अधिकारी नहीं है। जिन स्थानीय नागरिकों के जिम्मे भारतीय दूतावास और वाणिज्य दूतावास की सुरक्षा की जिम्मेदारी है, उनके साथ भी लगातार संपर्क नहीं हो पा रहा है। हालांकि यह कहा जा सकता है कि वहां बहुत कम संख्या में हिंदू या सिख बचे होंगे। एक वजह यह भी है कि काबुल से खाड़ी देशों के बीच हवाई सेवाएं शुरू हो गई हैं और बचे हुए अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों के खाड़ी क्षेत्र के जरिये दूसरे देशों में जाने की सूचना है।