दिल्ली में अफ्रीकी मूल के 2 संदिग्ध मंकीपॉक्स मरीज मिले

अब दिल्ली में मंकीपॉक्स (Monkeypox) के 2 संदिग्ध मरीज मिले हैं. दोनों ही शख्स अफ्रीकी मूल के हैं. दोनों को LNJP अस्पताल में भर्ती कराया गया है. उनके सैंपल जांच के लिए भेज दिए गए हैं. फिलहाल उनकी रिपोर्ट आने का इंतजार किया जा रहा है. 

बता दें कि इससे पहले आज (1 अगस्त) ही झारखंड के देवघर में मंकीपॉक्स का एक संदिग्ध मरीज मिला था. इस केस के सामने आने के बाद देवघर प्रशासन अलर्ट हो गया है. देवघर आने वाले रेल यात्री और हवाई जहाज से आने वाले लोगों की जांच की जा रही है.

UAE से लौटे युवक की केरल में मौत

बता दें कि मंकीपॉक्स से संक्रमित 22 साल के एक लड़के की केरल में 30 जुलाई को मौत हो चुकी है. उसके बारे में पहले ये अंदेशा था कि वह मंकीपॉक्स से संक्रमित है, लेकिन इस बात की पुष्टि उसकी मौत के बाद हो सकी. लड़के को संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में ही मंकीपॉक्स से संक्रमित पाया गया था. हालांकि अभी इस बात की पुष्टि नहीं हो सकी है कि उसकी मौत मंकीपॉक्स वायरस की वजह से ही हुई है.

केरल में मिल चुके हैं 3 केस

बताते चलें कि देश में मंकीपॉक्स के केस मिलने से सरकार की टेंशन बढ़ गई है. अब तक केरल, तमिलनाडु और दिल्ली में मंकीपॉक्स संक्रमित मरीज मिले हैं. केरल में मंकीपॉक्स के तीन केस मिल चुके हैं. केरल में 14 जुलाई को मंकीपॉक्स का पहला केस सामने आया था. इसके चार दिन बाद 18 जुलाई को दूसरे मामले की पुष्टि हुई थी फिर 22 जुलाई को तीसरा मामला सामने आया. तीनों मरीजों की ट्रैवल हिस्ट्री रिकॉर्ड की थी. ये तीनों ही मरीज यूएई से लौटे थे और वहीं किसी संक्रमित के संपर्क में आए थे.

कैसे हुई मंकीपॉक्स की शुरुआत

मंकीपॉक्स कोई नई बीमारी नहीं है. यह पहली बार 1950 के दशक के अंत में बंदरों के एक समूह में पाया गया था. वायरस वैरियोला (चेचक का प्रेरक एजेंट) और वैक्सीनिया वायरस (उपलब्ध चेचक के टीकों में से एक में प्रयुक्त वायरस) के समान जीन का है. 1958 में डेनमार्क के कोपेनहेगन में बंदरों पर की जा रही एक रिसर्च के दौरान इसका आउटब्रैक हुआ था, इस घटना के बाद ही सबसे पहले मंकीपॉक्स का नाम सामने आया.

कैसे फैलता है मंकीपॉक्स?

सर गंगाराम अस्पताल के इंटेंसिविस्ट और सीनियर कंसल्टेंट डॉ. धीरेन गुप्ता के मुताबिक मंकीपॉक्स के प्रसार में जानवरों की अहम भूमिका है. माना जाता है कि मनुष्य और बंदर के संपर्क में आने पर या चूहे और खरगोश जैसे जानवरों से ये वारस फैलता है. पश्चिम अफ्रीका में पाया गया स्ट्रेन मध्य अफ्रीका के स्ट्रेन की तुलना में कम गंभीर माना जाता है. उन्होंने आगे कहा कि पूरी दुनिया में क्लेड 2 IE अफ्रीकी स्ट्रेन ही फैल रहा है.

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