सेना के लेफ्टिनेंट बने 30 इंजीनियर जैंटलमैन कैडेट

भारतीय सेना को शनिवार को 30 लेफ्टिनेंट मिल गए। मिलिट्री कॉलेज ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड मैकेनिकल इंजीनियरिंग (एमसीईएमई) की पासिंग आउट परेड के दौरान कैडेट्स ट्रेनिंग विंग (सीटीडब्ल्यू) की ‘आखिरी पग’ रेखा को पार करते ही 30 जैंटलमैन कैडेट सेना में लेफ्टिनेंट के तौर पर कमीशन हासिल कर गए।

कोरोना वायरस महामारी की पाबंदियों के चलते इस बार पासिंग आउट परेड में जैंटलमैन कैडेट्स के परिजनों को शामिल होने की अनुमति नहीं दी गई और उन सभी को ऑनलाइन स्ट्रीमिंग के जरिये ही पासिंग आउट परेड का लाइव देखना पड़ा।

आर्मी ट्रेनिंग कमांड के तहत आने वाले एमसीईएमई की सीटीडब्ल्यू के करियप्पा ड्रिल स्क्वॉयर में इन सभी 30 जैंटलमैन कैडेट्स को औपचारिक परेड समारोह के बाद लेफ्टिनेंट पद पर कमीशन दे दिया गया। परेड की अध्यक्षता रिव्यूइंग अधिकारी के तौर पर एमसीईएमई के कमांडेंट लेफ्टिनेंट जनरल टीएस नारायणन ने की।

लेफ्टिनेंट जनरल नारायणन के मुताबिक, पहले लड़के (कैडेट्स) अमूमन चार साल की ट्रेनिंग के बाद पासिंग आउट समारोह केलि ए गया स्थित ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी (ओटीए) भेज दिए जाते हैं, लेकिन इस बार चल रही महामारी के हालात के चलते यह तय किया गया कि इस समय कैडेट्स का यात्रा करना सुरक्षित नहीं होगी। इसी कारण पासिंग आउट समारोह एमसीईएमई एकेडमी में ही आयोजित किया गया।

एमसीईएमई के प्लाटून कैडेट कैप्टन रिषभ शंकर को स्वॉर्ड ऑफ ऑनर सम्मान के लिए चुना गया और उन्होंने परेड की अगुआई की। रिषभ ने सीटीडब्ल्यू-एमसीईएमई का स्वर्ण पदक भी हासिल किया और टीईएस-36 पाठ्यक्रम में उन्हें कांस्य पदक से सम्मानित किया गया। रिषभ ने कहा, अपने पिता को रोजाना वर्दी पहनते और देश की सेवा करते हुए देखने के चलते मुझे भारतीय सैन्य बलों के साथ जुड़ने की प्रेरणा मिली थी। 

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