Tesla Inc (टेस्ला इंक) ने भारत में इलेक्ट्रिक कारों को बेचने की योजना पर रोक लगा दी है। इतनी ही नहीं कंपनी ने शोरूम की जगह की तलाश भी बंद कर दी है और अपनी कुछ घरेलू टीम के काम में भी बदलाव कर दिया है। टेस्ला ने यह कदम आयात करों को कम कराने में नाकाम रहने के बाद उठाया है। इस मामले से परिचित तीन लोगों ने समाचर एजेंसी रॉयटर को यह जानकारी दी है।
टेस्ला की सरकार के प्रतिनिधियों के साथ एक वर्ष से भी ज्यादा समय से बातचीत चल रही थी। जिसमें पैदा हुए गतिरोध के चलते कंपनी ने यह फैसला लिया है। टेस्ला पहले अमेरिका और चीन के उत्पादन केंद्रों से आयातित इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को कम टैरिफ पर बेचकर, भारतीय बाजार में मांग का आकलन करना चाहती थी।
लेकिन भारत सरकार टैरिफ कम करने से पहले टेस्ला को स्थानीय स्तर पर मैन्युफेक्चरिंग के लिए प्रतिबद्ध कर रही है। आयातित वाहनों पर टैरिफ 100 प्रतिशत तक जा सकता है।
Tesla टेस्ला ने खुद के लिए 1 फरवरी की समय सीमा तय की थी, जिस दिन भारतीय बजट पेश होता है और टैक्स में बदलावों की घोषणा होती है। कंपनी यह देखना चाह रही थी कि उसने भारत में आयात शुल्क पर छूट के लिए जो लॉबीइंग (पैरवी) की, उसके क्या नतीजे आए। कंपनी की योजना के जानकार सूत्रों ने रॉयटर्स को यह बताया।
जब प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने किसी रियायत की पेशकश नहीं की, तो टेस्ला ने भारत में कारों के आयात की योजना को रोक दिया। सूत्रों ने नाम न छापने की शर्त पर यह जानकारी दी क्योंकि कंपनी के ये विचार-विमर्श निजी थे।
महीनों से, टेस्ला ने नई दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु के प्रमुख भारतीय शहरों में शोरूम और सर्विस सेंटर खोलने के लिए रियल एस्टेट ऑप्शंस की तलाश कर रही थी। लेकिन यह योजना भी अब होल्ड पर है, दो सूत्रों ने कहा।
टेस्ला से इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया मांगने के लिए एक ईमेल किया गया, जिसका उसने कोई जवाब नहीं दिया।
भारत सरकार के प्रवक्ता ने भी टिप्पणी के अनुरोध का पर तुरंत जवाब नहीं दिया है।
टेस्ला ने भारत में अपनी कुछ छोटी टीम को अन्य बाजारों के लिए अतिरिक्त जिम्मेदारियां सौंपी हैं। टेस्ला के भारत नीति कार्यकारी मनुज खुराना ने मार्च से सैन फ्रांसिस्को में एक अतिरिक्त “उत्पाद” रोल स्वीकार किया है। इसकी जानकारी उनके लिंक्डइन प्रोफाइल से मिली है।