रहबर-ए-खेल, रहबर-ए-जंगलात और रहबर-ए-जीरत के कर्मचारियों ने रविवार को श्रीनगर के प्रेस एन्क्लेव में ईजेएसी के बैनर तले कड़ा विरोध-प्रदर्शन किया। इस दौरान बड़ी संख्या में कर्मचारी एकत्रित हुए और केंद्र शासित प्रदेश सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की।
कर्मचारियों का कहना है कि वह पांच-सात सालों से प्रदेश के दूरदराज क्षेत्रों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन अब सरकार ने एक आदेश जारी कर उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया है, जो कि उनके साथ अन्याय है और वे इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे।
एक प्रदर्शनकारी ने कहा कि वह चार साल से रहबर-ए-खेल के विभाग में कार्यरत है। उसे बडगाम के दूर-दराज क्षेत्र में सेवा का मौका मिला। अब उसकी उम्र चालीस से अधिक हो गई है। उसे उम्मीद है कि उन्हें जल्द ही नियमित किया जाएगा, लेकिन इसके विपरीत सरकार उन्हें बेदखल कर रही है। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा किया गया तो वह इसका पुरजोर विरोध करेंगे और आत्मदाह करने से भी पीछे नहीं हटेंगे।
जरगरप्रदर्शनकारियों ने कहा कि सरकार नया कश्मीर, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का नारा दे रही है। लेकिन अपनी नौकरी कर रहे युवा-युवतियों को बाहर का रास्ता दिखा रही है। ये पेशेवर डिग्री धारकों के साथ सरासर अन्याय है, जिन्होंने पांच से सात साल नियमितीकरण की उम्मीद में कम वेतन पर काम किया। लेकिन अब समय आने पर सरकार उन्हें हटा रही है और उनके भविष्य को अंधकार में धकेला जा रहा है।
उन्होंने कहा कि इस आदेश को तुरंत रद्द किया जाना चाहिए। रहबर-ए-खेल, जीरत और जंगलात के सभी कर्मचारियों को रहबर-ए-तालीम की तर्ज पर नियमित किया जाना चाहिए। क्योंकि ये कर्मचारी पहले से ही पेशेवर डिग्री धारक हैं और अनुभवी भी हैं।