श्रद्धा सुमनः हिन्दी पत्रकारिता के प्रखर पुरुष वैदिक जी का यूं चले जाना !

हिन्दी पत्रकारिता के प्रखर पुरुष, दिग्गज पत्रकार वेद प्रताप वैदिक की आक्समिक मृत्यु का मनहूस समाचार हतप्रभ और हृदय विदीर्ण करने वाला है। आज (14 मार्च, 2023) प्रात: 9 बजे वे अपने गुरुग्राम स्थित आवास के स्नानगृह में फिसलकर गिर पड़े और चोटिल हो गए। गिरने से सम्भवतः उनको हृदयाघात हुआ। चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। हिन्दी पत्रकारिता जगत और राजनीतिक गलियारों में इस अप्रत्याशित घटना से शोक छाया है।

वैदिक जी का जन्म 30 दिसम्बर, 1944 को इन्दौर में हुआ था। हिन्दी के प्रति उनके अनुराग का इसी से पता चलता है कि मात्र 13 वर्ष की आयु में वे हिन्दी आन्दोलन में शामिल हुए। किशोर अवस्था में सन् 1958 से पत्रकारिता का सफर आरम्भ किया।

राष्ट्रीय एवं अन्तराष्ट्रीय राजनीति पर उनकी गहरी पकड़ थी। वैदिक जी ने कैलीफोर्निया, लन्दन, मास्को, काबुल के विश्व विद्यालयों में अध्ययन भी किया और वहां विजिटिंग प्रोफेसर भी रहे। अंग्रेजी, जर्मनी, फारसी, संस्कृत सहित अनेक भाषाओं के ख्याता थे। अन्तर्राष्ट्रीय विषयों में रुचि होने के कारण दुनिया भर में घूमने का उन्हें शौक था। अपनी इस रुचि के कारण वैदिक जी ने 80 देशों की यात्रायें कीं।

वैदिक जी ने दृढ एवं स्पष्ट विचारों से पत्रकारिता जगत में ऊंचा स्थान बनाया। उन्होंने अन्तराष्ट्रीय राजनीति पर हिंदी में अपना शोध पत्र जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में प्रस्तुत किया। जे.एन.यू. ने इसे स्वीकार नहीं किया। यह 1966-67 की बात है। तब इन्दिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं। इस मुद्दे पर संसद में खूब हंगामा हुआ। अंततः जे.एन.यू. को अपने नियम बदलने पड़े।

मुम्बई आतंकी हमले के सूत्रधार हाफिज सईद से पाकिस्तान जा कर भेंट की और उसका इंटरव्यू लिया। इस पर भारत में खूब हंगामा मचा। दिग्विजय सिंह, बाबा रामदेव आदि ने वैदिक जी पर देश द्रोह का मुकदमा चलाने की मांग की थी। संसद में भी खुब बावेला मचा। मुंहफट स्वभाव के वैदिकजी ने तब सांसदों पर अगद टिप्पणी की थी। वैदिक जी से मेरी पहली भेंट दिल्ली की पीटीआई बिल्डिंग में हुई जब वे समाचार एजेंसी भाषा के संपादक थे।

समाजवादी चिन्तक, पत्रकार एवं वरिष्ठ अधिवक्ता सत्यवीर अग्रवाल से वैदिक जी की मित्रता थीं। अग्रवाल जी के आग्रह पर वे शुकतीर्थ में आयोजित मेरठ मंडलीय पत्रकार सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में सम्मिलित हुए थे। 12 वर्ष पूर्व वे मुजफ्फरनगर तब आये थे जब डॉ. मुकेश जैन से अपनी धर्मपत्नी के कुल्हे के इलाज की जरूरत पड़ी।

वैदिक जी विद्वान, अध्ययनशील, गम्भीर चिन्तक एवं दृढ़ विचारों के मिलनसार व्यक्ति थे। उन्होंने हिन्दी पत्रकारिता एवं लेखन को नये आयाम दिये। उनका अचानक इस तरह चला जाना अति दुःखद है। हिन्दी पत्रकारिता की यह बड़ी क्षति है। ‘देहात परिवार’ की विनम्र श्रद्धावलि।

गोविन्द वर्मा
संपादक ‘देहात’
www.dainikdehat.com

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