17 मार्च, 2025 को दिल्ली के जंतर-मंतर मार्ग पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के आह्वान पर वक्फ बोर्ड एक्ट संशोधन विधेयक 2024 के विरोध के नाम पर जो मजमा जुटा और उसमें आस्तीनें चढ़ा-चढ़ाकर जो कुछ बोला गया, उससे खुद ब खुद सिद्ध हो गया कि मामला वक्फ संशोधन विधेयक का था ही नहीं बल्कि मुस्लिमों को बहका फुसला कर नेतागिरी के शक्ति प्रदर्शन, मुस्लिम वोट बैंक को एकजुट रखने तथा पसमांदा मुसलमानों के हक-हुकूक व वक्फ संपत्तियों से मिलने वाले लाभ पर अपना और अपने खानदानियों का अधिकार बनाये रखने का है।
असलियत यह है अरबों-खरबों रुपयों को वक्फ प्रॉपर्टियों पर धर्म का लबादा ओढ़े लोग साँप की तरह कुंडली मारे बैठे हैं। हैदराबाद से लेकर लखनऊ तक में बैठे विषधर जंतर मंतर पर खूब फुफकारे। नाम लिखने की जरूरत नहीं क्योंकि टीवी चैनलों ने पूरा नज़ारा दिखा दिया। संसद से सड़कों तक लड़ाई, खून बहाने, कुर्बानी देने, गोलियां कम हो जायेंगी-सीने कम न होंगे, वक्फ बिल को सांप का बिल बताने से लेकर गृहयुद्ध होने की बातें हुई। किसी के बाप का नहीं, हमारे बाप का हिन्दुस्तान है, यह भी याद दिलाया गया। देश भर के मुसलमानों पर बुल्डोजर चलाने का डर भी दिखाया गया।
इस प्रकार की बोलियां कौन लोग बोल रहे हैं? इन्हें पक्का यकीन है कि धर्म के नाम पर वे लोगों को सड़कों पर उतार कर अपना निजी स्वार्थ पूरा कर सकते हैं। फिर, इन्हें यह भी पता है कि मुसलमान हमलावर और व्यापारी अंग्रेज अपने साथ सेना लेकर नहीं आये थे- हिन्दुस्तान में मौजूद गद्दारों के सहारे इन्होंने इस मुल्क पर हुकूमत की। जन्तर-मन्तर के मजरे में ये पुश्तैनी गद्दार भी मौजूद थे। नागपुर में हिंदुओं पर योजनाबद्ध हमलों-आगजनी पर ये गद्दार सबसे पहले बोले। यह आने वाले समय का ट्रेलर है।
लुटेरों-हत्यारों की याद में !
इतिहास गवाह है कि विदेशी हमलावर महमूद गजनवी ने हिन्दुस्तान के हज़ारों मंदिरों को ध्वस्त किया और लाखों हिन्दुओं को काफिर बताकर मार डाला लेकिन सबसे भयंकर तथा क्रूर हमला गुजरात के सोमनाथ मंदिर पर हुआ था जहां उसने न केवल शिवलिंग को अपवित्र किया बल्कि सैकड़ों ऊंट गाड़ियों में मंदिर का अकूत खजाना भर के ईरान ले गया और मंदिर की रक्षा करने आये 20,000 हिन्दुओं को मार डाला। इससे पहले गजनवी और इसके सैनिकों ने मन्दिर की सैकड़ों गायों का वध किया। यह कुकृत गजनवी के सेनापति सैयद सालार मसूद गाज़ी के नेतृत्व में हुआ।
आक्रान्ता गजनवी के बर्बर सेनापति सालार मसूद व उसकी सेना ने वर्तमान उत्तरप्रदेश के सम्भल में भी हजारों हिन्दुओं का नरसंहार किया था और नगर के सभी मंदिरों को नष्ट कर डाला था कुवों को अपवित्र कर दिया था।
कमजोर और धर्मविरोधी हिन्दू सालार मसूद के नेज़े से डर कर मुसलमान बन गये। हिन्दू से मुस्लिम बने इनके परिवार सैकड़ों वर्षों से सालार मसूद को ‘गाज़ी’ (इस्लाम का रक्षक व लड़ाका) के रूप में उसका गुणगान करते आ रहे हैं। मुस्लिम बन चुके ये लोग हमलावर सालार मसूर की याद में मेला लगाते हैं जहां कव्वालियों की महफिलें भी सजती है। अलग-अलग जगहों पर ‘गाज़ी’ सालार मसूद की याद को ताज़ा बनाये रखने को ‘नेजा कमेटी’ मेलों का आयोजन करती है। आज की पीढ़ी के नौजवान जानते ही नहीं हैं कि नेजा होता क्या है। जिस प्रकार हिन्दू लड़ाके युद्धों में तीर तलवार, बल्लम, भाले जैसे अस्त्र शस्त्र प्रयोग करते थे, उसी प्रकार मुस्लिम सेनापति व सैनिकों का प्रमुख हथियार ‘नेजा’ था। यह नुकीला हथियार है, जो हाथ में रखते हुए या फिर दुश्मन पर जोर से खींच कर मारा जाता है। जिस तरह मुस्लिमों ने बारुद्ध, बन्दुक व तोप का आविष्कार किया, वैसे ही नेजा भी उनका प्रमुख हथियार रहा। सालार मसूद के मेले में इसी नेजे व ढाल का गुणगान प्रदर्शन होता है।
समाचार है कि हमलावर सालार की शान में भरने वाले मेले को संभल के प्रशासन ने अनुमति नहीं दी है क्योंकि आक्रमणकारी और हत्यारे का महिमा मंडन करने का औचित्य नहीं। फिर भी यह संभावना है कि हत्यारे औरंगजेब को अपना हीरो व दानिशवर बताने वाले संविधान की दुहाई देकर इस पाबंदी पर भी गुलगपाड़ा मचायेंगें।
एक जिला, एक माफिया !
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का मानना है कि युवाशक्ति को आर्थिक रुप से सबल करने पर प्रदेश समृद्धशाली होगा और हमारा राज्य 5 मिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था वन सकेगा। इस कल्पना को साकार करने को श्री योगी युवाओं को निजी उद्यम लगाने के लिए युवा उद्यमी विकास अभियान के तहत ऋण वितरण कार्यक्रम चला रहे हैं। राजधानी लखनऊ के ऋण वितरण कार्यक्रम तथा अन्य स्थानों के बाद मुख्यमंत्री श्री योगी 17 मार्च 2025 को सहारनपुर आए। जनमंच सभागार में उन्होंने सहारनपुर जिले के 582 युवा उद्यमियों तथा 310 स्वयं सहायता समूहों को 49 करोड़ रुपये के चैक वितरित किये। 20 आवेदकों को प्रतीतामक रूप से चैक बांटे।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने ठीक ही कहा कि पिछली सरकार ‘एक जिला, एक माफिया’ की नीति पर चलती थी और अब उनकी सरकार ‘एक जिला, एक उद्यम’ की नीति पर चलकर स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा दे रही है।
बसपा-सपा की सरकारों के दिनों में खनन माफिया, शिक्षा माफिया, नकल माफिया, टेंडर माफियाओं की भरमार थी। बड़े माफियाओं के साथ ही छुटभैये सी कुकुरमुत्ते की भांति छा गए थे। योगी राज में एक-एक का इलाज हो रहा है।
मुख्यमंत्री जी का कहना ठीक है कि युवकों की गतिशीलता से उत्तर प्रदेश समृद्ध हो। युवा उद्यमियों की गतिशीलता में कोई बाधा न आए इसके लिए प्रत्येक जिले में निगरानी एवं सहायता समिति गठित की जायें जिसका नोडल अधिकारी उपायुक्त उद्योग को बनाया जाए।
गोविंद वर्मा
संपादक ‘देहात’