नई दिल्ली स्थित न्यू महाराष्ट्र सदन में शुक्रवार को भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय द्वारा लिखित पुस्तक “जनता की कहानी, मेरी आत्मकथा” का विधिवत विमोचन किया। इस मौके पर उपराष्ट्रपति ने कहा कि आज का भारत शासन की ताकत, उसकी सोच और दृष्टिकोण को स्वयं अनुभव कर रहा है। अब देश को दूसरों की ओर देखने की आवश्यकता नहीं है और जो विकास और बदलाव भारत में हो रहा है, वह हर नागरिक के आत्मबल को बढ़ा रहा है।
उन्होंने कहा कि भारतीयता हमारी असली पहचान है और राष्ट्रधर्म सर्वोपरि है। कोई भी निजी, राजनीतिक या आर्थिक स्वार्थ राष्ट्रहित से ऊपर नहीं हो सकता।
पाकिस्तान को कड़ा जवाब दे रही भारतीय सेना
हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में भारत ने पाकिस्तान और पीओके में नौ आतंकी ठिकानों को नष्ट कर दिया। इसके बाद पाकिस्तान की ओर से कश्मीर और पंजाब सीमाओं पर की जा रही गोलीबारी का भारतीय सेना मुंहतोड़ जवाब दे रही है। इसके साथ ही भारतीय सुरक्षा बलों ने पाकिस्तान की ओर से भारत के 36 क्षेत्रों में ड्रोन भेजने की कोशिश को भी पूरी तरह विफल कर दिया है। इन हालातों के बीच उपराष्ट्रपति की टिप्पणियाँ बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही हैं।
प्रजातंत्र में अभिव्यक्ति और संवाद का महत्व
उपराष्ट्रपति ने यह भी कहा कि लोकतंत्र बिना स्वतंत्र अभिव्यक्ति के जीवित नहीं रह सकता। यदि कोई व्यक्ति यह मान ले कि केवल उसी का मत सही है, तो यह विचार लोकतांत्रिक अभिव्यक्ति के मूल भाव के खिलाफ है। उन्होंने जोर देकर कहा कि विचारों का आदान-प्रदान और संवाद, जिसे वैदिक परंपरा में ‘अनंतवाद’ कहा गया है, लोकतंत्र की आत्मा हैं।
उन्होंने हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय की प्रशंसा करते हुए बताया कि 1984 में उन्होंने नक्सलियों के साथ विचार-विमर्श कर इस सिद्धांत को व्यवहार में उतारा था। उपराष्ट्रपति ने कहा कि लोकतंत्र में मतभेद और बहस दोनों साथ चलते हैं और इन्हें नजरअंदाज करने से केवल अहंकार को बढ़ावा मिलता है, जो व्यक्ति और लोकतंत्र दोनों के लिए घातक है।