राष्ट्रीय लोकदल के भीतर नेतृत्व स्तर पर मतभेद खुलकर सामने आने लगे हैं। पार्टी के संगठनात्मक महासचिव त्रिलोक त्यागी पर अनुसूचित जाति वर्ग के कुछ नेताओं के साथ दुर्व्यवहार और अपमानजनक व्यवहार के आरोप लगे हैं। इसी सिलसिले में पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव केपी चौधरी ने त्रिलोक त्यागी को एक पत्र भेजा है, जिसमें 14 बिंदुओं पर स्पष्टीकरण मांगा गया है। इसके साथ ही पार्टी नेतृत्व और केंद्रीय कार्यकारिणी से उन्हें निष्कासित करने की अनुशंसा भी की गई है। यह पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है और राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है।
पत्र में केपी चौधरी ने उल्लेख किया है कि 27 मई को मथुरा में आयोजित पार्टी सम्मेलन के दौरान त्रिलोक त्यागी ने प्रदेश महासचिव डॉ. सुशील को मंच पर स्थान नहीं दिया और उनके साथ अशोभनीय व्यवहार किया। आरोप है कि राज्य एससी/एसटी आयोग के सदस्य नरेंद्र खजूरी को भी मंच पर बैठने का अवसर नहीं दिया गया और डॉ. सुशील को संबोधन से रोकने की कोशिश की गई।
इसके अतिरिक्त, पूर्व विधायक विनोद हरित, पूर्व आईपीएस अधिकारी ओपी सागर और राष्ट्रीय सचिव महेश आर्य ने भी त्रिलोक त्यागी के रवैये पर आपत्ति जताई है और पार्टी नेतृत्व को शिकायतें भेजी हैं।
चौधरी ने अपने पत्र में त्यागी को सात दिनों के भीतर जवाब देने को कहा है और साथ ही राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी जयंत सिंह तथा केंद्रीय कार्यकारिणी से मांग की है कि त्यागी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए उन्हें पार्टी से बाहर किया जाए।
वहीं इस प्रकरण पर प्रतिक्रिया देते हुए वरिष्ठ रालोद नेता और एससी/एसटी आयोग के सदस्य नरेंद्र खजूरी ने कहा कि उन्होंने मथुरा सम्मेलन में भाग लिया था और मंच के सामने की सीट पर बैठ गए थे क्योंकि वे देर से पहुंचे थे। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका कोई अपमान नहीं हुआ और यह मुद्दा पार्टी का आंतरिक मामला है, जिसे सार्वजनिक करने की बजाय आपसी संवाद से सुलझाया जाना चाहिए।