आरबीआई की तिजोरी में 12.5 किलो की सोने की ईंटें, देश का मजबूत आर्थिक किला!

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) देश में सोने के महत्व को भली-भांति समझता है। 1991 के आर्थिक संकट के बाद से आरबीआई ने अपने स्वर्ण भंडार को कई गुना बढ़ाया है, जो अब लगभग 870 टन तक पहुंच गया है। यह भंडार अलग-अलग स्थानों पर 12.5 किलो वजन की ईंटों के रूप में सुरक्षित रखा गया है। आरबीआई की हाल ही में जारी डॉक्युमेंट्री में इन तथ्यों को सामने लाया गया है।

इस डॉक्युमेंट्री का उद्देश्य आरबीआई की कार्यप्रणाली और जिम्मेदारियों को आम जनता के सामने प्रस्तुत करना है। इसमें यह भी बताया गया है कि भारत विश्व के उन देशों में शामिल है जहां करेंसी नोटों का उत्पादन सबसे अधिक होता है। वर्तमान में देश में चलन में कुल नोटों की संख्या लगभग 13,000 करोड़ यूनिट है, जिनकी कुल कीमत 38.1 लाख करोड़ रुपये (2 मई 2025 की स्थिति) है।

यह पहली बार है जब आरबीआई ने अपने कामकाज को डॉक्युमेंट्री के रूप में प्रस्तुत किया है। ‘आरबीआई अनलॉक्ड: बियॉन्ड द रुपी’ नामक इस पांच भाग वाली श्रृंखला को जियो हॉटस्टार के सहयोग से जारी किया गया है। इसमें आरबीआई के गोल्ड वॉल्ट की झलक भी पहली बार दिखाई गई है।

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डॉक्युमेंट्री के अनुसार, 1991 के संकट के बाद से आरबीआई ने स्वर्ण भंडार को बढ़ाकर इसे कई सुरक्षित स्थानों पर संरक्षित किया है। इस भंडार तक बहुत कम लोगों को ही पहुंच की अनुमति है। केंद्रीय बैंक के अधिकारियों के अनुसार, यह सिर्फ धातु नहीं बल्कि राष्ट्रीय शक्ति का प्रतीक है।

आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, 20 जून को समाप्त सप्ताह में स्वर्ण भंडार का मूल्य 57.3 करोड़ डॉलर घटकर 85.74 अरब डॉलर रह गया, जबकि विदेशी मुद्रा भंडार 1.01 अरब डॉलर कम होकर 697.93 अरब डॉलर पर पहुंच गया।

डॉक्युमेंट्री में यह भी बताया गया है कि पहले भारत को करेंसी छापने के लिए विशेष कागज आयात करना पड़ता था। उस समय नासिक और देवास में नोटों की छपाई के लिए विदेश से मंगवाए गए कागज का उपयोग होता था। सीमित संख्या में कंपनियां ही यह कागज बनाती थीं, जिससे नकली नोटों की संभावना बनी रहती थी।

आरबीआई की पूर्व डिप्टी गवर्नर ऊषा थोराट के अनुसार, 2010 के आसपास यह सामने आया कि कई नकली नोट इतने उच्च गुणवत्ता के थे कि उन्हें असली से अलग कर पाना मुश्किल था। इसके मद्देनजर, आरबीआई ने देश के भीतर करेंसी कागज उत्पादन की दिशा में कदम उठाया।

अब देवास (मध्य प्रदेश), सालबोनी (पश्चिम बंगाल), नासिक (महाराष्ट्र) और मैसूर (कर्नाटक) में स्थापित यूनिटों के माध्यम से देश में करेंसी नोटों के लिए आवश्यक कागज का निर्माण हो रहा है। इस कागज के साथ-साथ छपाई में प्रयुक्त स्याही और अन्य सामग्री भी अब देश में ही उत्पादित हो रही है, जो ‘मेक इन इंडिया’ पहल का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।

करेंसी नोटों के निर्माण में उपयोग होने वाला कागज बेकार हो चुके कॉटन वेस्ट से तैयार किया जाता है, जो कपड़ा मिलों से प्राप्त होता है। आरबीआई के अनुसार, नोटों में 50 से अधिक सुरक्षा विशेषताएं होती हैं। इनमें से कुछ जैसे सुरक्षा धागा और लैटेंट इमेज आम लोगों को ज्ञात होती हैं, जबकि कई ऐसी विशेषताएं भी होती हैं जो केवल विशेष उपकरणों से ही देखी जा सकती हैं।

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