सीतापुर जेल में बंद समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खां से मुलाकात के बाद उनकी पत्नी और पूर्व सांसद तजीन फात्मा द्वारा दिया गया बयान राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है। उन्होंने कहा, “अब किसी से कोई उम्मीद नहीं है, बस अल्लाह पर भरोसा है।” इस वक्तव्य को समाजवादी पार्टी से उनकी बढ़ती दूरी के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है।
सपा में बढ़ी चिंता
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि यह असंतोष गहराता है, तो समाजवादी पार्टी के लिए मुस्लिम मतदाताओं को एकजुट बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। तजीन फात्मा ने तीन दिन पूर्व जेल में आजम खां से भेंट की थी। जब पत्रकारों ने उनसे पूछा कि अब सपा के नेता आजम खां का हालचाल जानने नहीं आ रहे, तो उन्होंने निराशा जताते हुए जवाब दिया कि उन्हें अब किसी से कोई आशा नहीं है।
पार्टी नेतृत्व पर सवाल
पूर्व सपा जिलाध्यक्ष वीरेंद्र गोयल ने भी पार्टी नेतृत्व पर सवाल उठाते हुए कहा कि अखिलेश यादव ने आजम खां के समर्थन में कोई ठोस कदम नहीं उठाया। उन्होंने कहा कि सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव हमेशा कार्यकर्ताओं के साथ खड़े रहते थे और खुद सड़कों पर उतरते थे, लेकिन वर्तमान नेतृत्व केवल बयानबाज़ी तक सीमित है।
आजम खां पर मुकदमे और राजनीतिक सफर
आजम खां 2001 में तत्कालीन एसपी प्रेम प्रकाश के खिलाफ चार महीने तक आंदोलन कर चुके हैं, जिसमें प्रदेश भर के सपाइयों ने भाग लिया था। वे सपा के संस्थापक सदस्य होने के साथ-साथ पार्टी का एक मजबूत मुस्लिम चेहरा भी रहे हैं। 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान उनके तीखे बयानों के चलते प्रशासन से टकराव बढ़ा और उनके विरुद्ध सौ से अधिक मामले दर्ज हुए। अब तक वे छह मामलों में दोषी ठहराए जा चुके हैं और अक्टूबर 2022 से सीतापुर जेल में बंद हैं।
अखिलेश यादव की प्रतिक्रिया
लखनऊ में जब तजीन फात्मा के बयान पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव से प्रतिक्रिया ली गई, तो उन्होंने कहा कि वे तजीन की बातों से सहमत हैं। उन्होंने यह भी जोड़ा कि झूठे मुकदमों में फंसाए गए लोगों को न्याय या तो अदालत से मिलेगा या ईश्वर से। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार बदलने पर मदद संभव हो सकती है।
चंद्रशेखर से बढ़ते रिश्ते
आजम खां के परिवार की आजाद समाज पार्टी के नेता चंद्रशेखर आजाद से नजदीकियां भी चर्चा में हैं। चंद्रशेखर कई बार जेल में आजम खां, अब्दुल्ला आजम और तजीन फात्मा से मिल चुके हैं और खुलकर समर्थन जता चुके हैं। जानकारों का कहना है कि 2027 के विधानसभा चुनाव में दोनों मिलकर नया मोर्चा बना सकते हैं, जिससे दलित-मुस्लिम गठबंधन को बल मिल सकता है और सपा के लिए यह एक राजनीतिक चुनौती बन सकती है।
रामपुर में आजम का प्रभाव
रामपुर की राजनीति में आजम खां का वर्षों से दबदबा रहा है। वे 10 बार विधायक, राज्यसभा और लोकसभा सांसद रह चुके हैं। वे राज्य सरकार में चार बार मंत्री भी रहे। उनकी पत्नी तजीन राज्यसभा सदस्य और रामपुर से विधायक रह चुकी हैं, जबकि बेटे अब्दुल्ला आजम दो बार विधायक चुने गए, लेकिन कानूनी कारणों से दोनों बार उनकी सदस्यता रद्द हुई।