यूरोप के शांत माने जाने वाले देश सर्बिया में छात्र आंदोलन ने विद्रोह का रूप ले लिया है। राजधानी बेलग्रेड समेत कई शहरों में हजारों छात्र सड़कों पर उतर आए हैं और सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। यह आंदोलन आठ महीने पहले नोवी साड रेलवे स्टेशन पर हुई एक दर्दनाक दुर्घटना के बाद शुरू हुआ था, जिसमें स्टेशन की छत गिरने से 16 लोगों की जान चली गई थी।
दुर्घटना के बाद से छात्र सरकार की कथित लापरवाही और भ्रष्टाचार के विरोध में आवाज़ उठा रहे थे, लेकिन अब आंदोलन का स्वरूप व्यापक होते हुए राष्ट्रपति अलेक्जेंडर वुसिक के शासन के विरोध में बदल गया है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वे सर्बिया में लोकतंत्र और पारदर्शिता की बहाली चाहते हैं।
हिंसक झड़पों से राजधानी में तनाव
राजधानी की सड़कों पर भारी संख्या में छात्रों की मौजूदगी के बीच पुलिस बल की तैनाती बढ़ा दी गई है। कई स्थानों पर पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें हुई हैं, जिनमें आंसू गैस के गोले और लाठीचार्ज जैसी कार्रवाइयों की खबरें सामने आई हैं। प्रदर्शनकारी ‘तानाशाही हटाओ’ और ‘लोकतंत्र बहाल करो’ जैसे नारे लगाते हुए राष्ट्रपति के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने दिया इस्तीफा, राष्ट्रपति अब भी अडिग
तेज होती हलचल के बीच सर्बिया के प्रधानमंत्री मिलोस वुचेविच पहले ही इस्तीफा दे चुके हैं, लेकिन राष्ट्रपति अलेक्जेंडर वुसिक अब भी सत्ता पर बने हुए हैं। वुसिक पर आरोप है कि वे शासन में पारदर्शिता और जवाबदेही को दरकिनार कर तानाशाही रवैया अपना रहे हैं।
विद्यार्थियों के नेतृत्व में राष्ट्रीय आक्रोश
यह आंदोलन छात्रों की अगुवाई में शुरू हुआ, लेकिन अब यह राष्ट्रीय स्तर की बगावत का रूप ले चुका है। विश्वविद्यालयों के छात्र संगठनों के नेतृत्व में चल रहे इस आंदोलन को आम नागरिकों और राजनीतिक संगठनों का भी समर्थन मिल रहा है। सर्बियाई समाज में सरकार के प्रति गहरा आक्रोश उभर कर सामने आया है।
क्या टूटेगा 12 साल पुराना राजनीतिक किला?
राष्ट्रपति वुसिक पिछले 12 वर्षों से सर्बियाई राजनीति में एक प्रभावशाली चेहरा रहे हैं। लेकिन मौजूदा हालात को देखते हुए यह सवाल उठ रहा है कि क्या उनकी सत्ता को अब चुनौती मिल चुकी है? अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इस आंदोलन पर नजर रखी जा रही है, क्योंकि इसका असर सर्बिया की स्थिरता और यूरोपीय राजनीति पर भी पड़ सकता है।
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