दो महानुभावों से आनंददायक भेंट !

प्रभु कृपा से 26 व 28 अगस्त को दो महानुभावों से आनन्द दायक भेंट हुई। दोनो ही सज्जन ग्रामीण परिवेश से आये है और कठोर परिश्रम, सूझबूझ एवं पुरुषार्थ से शहर (मुजफ्फरनगर) में ऊंचा स्थान बनाया और अपनी सकारात्मकता के बल पर समाज के सभी वर्गों में लोकप्रियता अर्जित की है।

एसडी पब्लिक स्कूल से रिटायर हो चुके श्री बालक राम जी मेरी बीमारी की खबर लगने पर 26 अगस्त को शाम मिलने आये। उन्होंने 32 वर्ष पूर्व मेरी पुत्री रचना को पढ़ाया था उन्हें यह जानकर बड़ी प्रसन्नता हुई कि रचना हॉलैंड में है और उसका एक पुत्र डॉक्टर बन चुका है तथा दूसरा कम्प्यूटर साइंस का विद्यार्थी है और अंतरिक्ष विज्ञानी बनना चाहता है। बालक राम जी ने कठोर परिश्रम और ईमानदारी के बल पर समाज में ऊंचा स्थान बनाया। जिन को सेल्फ मेड पर्सन कहा जाता है, बालक राम जी ऐसे व्यक्तित्व के धनी हैं। लगभग डेढ़-दो घंटे बातें हुईं। बीमारी की कमजोरी ओर थकान काफूर हो गई। मैंने उनसे कहा- आपके आने से मुझे आक्सीजन मिल गई।

दशकों से शहर में रह रहे और नगर के हर वर्ग में घुले मिले किन्तु आज भी ग्रामीण संस्कृति तथा ग्रामीण संस्कारों से ओत प्रोत और किसानों की समस्याओं व सरोकारों को अपनी लेखनी से प्रचारित करने वाले अशोक बालियान जी से 28 अगस्त को भेंट कर हर्ष तथा सुख की अनुभूति हुई। वे पीजेंट वेलफेयर एसोसिएशन के चेयरमैन के रूप में बालियान जी दशकों से किसानों से संबंधित मुद्दों को हर मंच पर शिद्दत के साथ उठाते रहे हैं। उनके विचारों में गम्भीरता तथा सार्थकता व निष्पक्षता होती है। वे अध्ययनशील, बुद्धिजीवी आदि है और तथ्यों के आधार पर ही लिखते तथा बोलते हैं। तीन कृषि कानूनों पर बालियान जी ने बेबाकी और दृढ़ता से कहा था कि एक वर्ग किसानों का झूठा हितैषी बन इन क्रांतिकारी कानूनों का विरोध कर निजी स्वार्थ सिद्धि में जुटा है। किसान भाइयों को सावधान रह कर अपने हित को देखना चाहिए। अशोक बालियान एक चिन्तक और बुद्धिजीवी के रूप में ग्रामीण समाज की धरोहर हैं। उनसे विभिन्न विषयों तथा वर्तमान परिस्थिति पर सार्थक चर्चा हुई और प्रखरता मिली। मेरी कामना है कि वे अपने स्पष्ट एवं निष्पक्ष विचारों तथा लेखनी से समाज की सेवा एवं जागरण में सतत सक्रिय रहें।

गोविंद वर्मा
संपादक ‘देहात’

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