बाहुबली अतीक के बेटे अली अहमद पर सांप्रदायिक दुर्भावना फैलाने का मुकदमा दर्ज

एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) की सभा में शायरी सुनाना पूर्व बाहुबली सांसद अतीक अहमद (Atiq Ahmed) के बेटे अली (Ali Ahmed) के गले की फांस बनता जा रहा है. पुलिस ने इस मामले में अतीक के बेटे अली के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है. हालांकि जमानती धाराएं होने की वजह से पुलिस ने बाहुबली के बेटे की गिरफ्तारी अभी नहीं की है. अधिकारियों का कहना है कि इस मामले में जांच पूरी होने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी. सूत्रों का दावा है कि प्रयागराज पुलिस इस मामले में जल्द से जल्द अपनी जांच पूरी कर बाहुबली के बेटे अली के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने की तैयारी में हैं. 

इन धाराओं में केस दर्ज
अतीक के बेटे पर शायरी के जरिये सरकारी काम में बाधा डालने, सरकारी कर्मचारियों को धमकाने और धार्मिक भावनाएं भड़काकर सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की धाराओं में केस दर्ज किया गया है. यह एफआईआर दर्ज होने से अतीक के छोटे भाई पूर्व विधायक अशरफ और बड़े बेटे उमर के बाद बाहुबली के परिवार के चौथे सदस्य पर भी कानूनी शिकंजा कसने लगा है.

क्या है मामला?
दरअसल बाहुबली अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन और दूसरे नंबर के बेटे अली पिछले महीने लखनऊ में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी में शामिल हुए थे. ओवैसी ने इसके बाद 25 सितंबर को प्रयागराज के इस्लामिया कालेज ग्राउंड पर एक सभा की थी. इस सभा में अतीक के परिवार के लोग भी शामिल हुए थे. सभा में अतीक के बेटे अली अहमद ने भी मंच से भाषण दिया था. इस दौरान उन्होंने शायराना अंदाज़ में सूबे की सरकार पर निशाना साधा था.

अली ने सरकार पर सियासी निशाना साधने के साथ ही अपना पुश्तैनी मकान सरकारी बुलडोज़रों के जरिये गिराए जाने पर भी नाराजगी जताई थी. अली ने कहा था कि जिन्होंने मकान गिराया है, उन्हें एक-एक ईंट का हिसाब देना होगा. जिन लोगों ने इमारत गिराई है, उन्हें ही उसे फिर से बनवाना होगा. अली के इस बयान को विकास प्राधिकरण के कर्मचारियों को धमकी देने से जोड़कर देखा जा रहा है. अली के भाषण का यह हिस्सा सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है. प्रयागराज पुलिस ने अली के खिलाफ शहर के करेली थाने में एफआईआर दर्ज कर अपनी तफ्तीश शुरू कर दी है.

अली ने क्या कहा था?
अली ने अपने भाषण में कहा था, “उन्होंने हमारा मकान तोड़ा, लेकिन हौसला नहीं तोड़ा, हिम्मत नहीं तोड़ी. वो बस एक ईंट की दीवार ही पहचान पाएंगे, बसा न पाए जो एक घर, वो घर क्या जान पाएंगे. हमारे हौसले की छांव में एक शहर बसता है, मेरे बच्चों को भी टूटी छतों का डर नहीं होता. तुम उन लोगों के साथी हो, जिनके अनगिनत घर हैं, मैं उन लोगों का साथी हूं, जिनका घर नहीं होता. हमारा भी वक़्त आएगा, ये सच्ची कहानी है. हमारे और बदले की रवायत भी पुरानी है. तैयार रहना, एक-एक ईंट जिन हाथों ने गिराई है, एक-एक ईंट उन्ही हाथों से वापस लगवाएंगे.”

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