हनुमान चालीसा-लाउड स्पीकर विवाद पर सर्वदलीय बैठक, गृह मंत्री ने केंद्र के पाले में डाल दी गेंद

महाराष्ट्र में हनुमान चालीसा पर जारी घमासान पर लगाम लगाने के लिए सोमवार को महाराष्ट्र सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलाई. इसमें भाजपा को छोड़कर सभी पार्टियों ने हिस्सा लिया. इस दौरान सभी ने अपने-अपने तर्क रखे. बैठक की अध्यक्षता कर रहे गृह मंत्री दिलीप वलसे पाटिल ने सवाल उठाया कि अगर हम किसी विशेष समाज के लोगों को लेकर अगर सवाल उठाएंगे तो अन्य समाज के पूजा पाठ पर भी उसका परिणाम क्या होगा, इसपर पर चर्चा होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि सब के लिए अलग नियम नहीं हो सकता, सबके लिए एक नियम होना जरूरी है. लिहाजा, केंद्र सरकार एक नियम बनाना चाहिए, ताकि सभी राज्य को अलग-अलग नियम बनाने की जरूरत ही नहीं पड़े. इसके साथ ही उन्होंने सुझाव दिया कि केंद्र सरकार के पास सब पार्टी एक डेलीगेशन लेकर जाए और उन्हें इस विवाद के हल के हल के लिए कोई कानून बनाने के लिए कहा जाए.

बैठक में इन पार्टियों ने लिया हिस्सा
मुम्बई स्थित सह्याद्रि गेस्ट हाउस में चल रहे सर्वदलीय बैठक में शिवसेना से एकनाथ शिंदे, अनिल परब, आदित्य ठाकरे बैठक में शामिल हुए. एनसीपी से अजित पवार, दिलीप वालसे पाटिल और कांग्रेस से अशोक चौहान व असलम शेख शामिल हुए. इसके अलावा MIM से वारिस पठान और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) की तरफ से नितिन सरदेसाई, संदीप देशपांडे और बाला नांदगांवकर सर्वदलीय बैठक में शामिल हुए. वहीं, भाजपा ने इस बैठक का बहिष्कार किया है.

भाजपा इसलिए बैठक में नहीं हुई शामिल
बैठक में शामिल नहीं होने को सही ठहराते हुए भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि जिस तरीके से बीजेपी के नेताओं पर हमला हो रहा है, विपक्ष की आवाज को दबाया जा रहा है, ऐसे में हम गृह मंत्री की बैठक में नहीं जा सकते हैं. उन्होंने कहा कि लाउड स्पीकर को लेकर जहां तक बात है तो हिंदू जब लाउड स्पीकर को लेकर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का पालन करते हैं तो दूसरे धर्म के लोग क्यों नहीं कर सकते हैं.

शरद पवार ने समाज में दरार डालने का लगाया आरोप

हनुमान चलीसा पर जारी घमाषाण के बीच एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने पुणे में कहा है कि धार्मिक भावना का भड़काने और विद्वेष बढ़ाने की कोशिश दी जा रही है. उन्होंने कहा कि धार्मिक श्रद्धा प्रत्येक का निजी मामला है. धर्म के बारे में भावनाओं को प्रदर्शित करने की जरूरत नहीं है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री एक संवैधानिक पद है. उसके बारे में अपशब्द कहना उचित नहीं है. उन्होंने कहा कि मैंने मुख्यमंत्री के खिलाफ अब से पहले ऐसा माहौल महाराष्ट्र में कभी नहीं देखा. इस वक्त धर्मों के बीच जानबूझकर दरार पैदा की जा रही है. निचले स्तर पर मुख्यमंत्री की आलोचना अशोभनीय है. पवार ने आरोप वगाया कि कुछ लोग सरकार जाने से बेचैन हो गए है. राष्ट्रपति शासन लगाने की हद तक कोई नहीं जाएगा सरकार आती है जाती है. 

  • हनुमान चालीसा विवाद पर महाराष्ट्र सरकार ने बुलाई सर्वदलीय बैठक
  • बैठक में भाजपा को छोड़कर एमएनएस समेत सभी दलों ने लिया हिस्सा
  • गृह मंत्री ने कहा, केंद्र सरकार को पूरे देश के लिए बनाना चाहिए एक नियम

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