इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आयकर विभाग के अधिकारियों को भविष्य में न्यायिक अनुशासन को ध्यान में रखते हुए कार्य करने की नसीहत दी है और कहा है कि आदेश के खिलाफ अपील दाखिल होने मात्र से आदेश की अवहेलना करने की छूट नहीं मिल जाती। अपील करने से आदेश न मानने का आधार नहीं मिल जाता, बशर्ते स्थगनादेश पारित न हुआ हो। यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केसरवानी तथा न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने मोहन लाल संतवानी की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।
कोर्ट ने कहा अनुच्छेद 141 के तहत सुप्रीम कोर्ट का आदेश पूरे देश में बाध्यकारी होता है। उसी तरह अनुच्छेद 226 व 227 के आदेश प्रदेश में बाध्यकारी प्रभाव रखते हैं। कोर्ट ने आयकर विभाग के अपर आयुक्त द्वारा बिना शर्त माफी मांगने पर अवमानना कार्यवाही नहीं की और भविष्य में सावधानी बरतने की नसीहत दी है।
कोर्ट ने मियाद बीत जाने के बाद धारा 148 की नोटिस व वसूली कार्रवाई आदेश को अधिकार क्षेत्र से बाहर मानते हुए रद्द कर दिया है। कोर्ट के आदेश की अवहेलना कर जवाब न दाखिल करने पर लगाया गया पांच हजार रुपये हर्जाना आयकर विभाग द्वारा जमा किया गया और संक्षिप्त हलफनामा दाखिल किया गया। कोर्ट ने महानिबंधक को आदेश को आयकर विभाग में भेजने का निर्देश दिया है।