अमानत में खयानत के एक मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सपा विधायक नाहिद हसन की जमानत अर्जी खारिज कर दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति समित गोपाल ने दिया है। अर्जी में आईपीसी की धारा 406 के तहत चल रहे ट्रायल के दौरान नाहिद हसन की जमानत पर रिहाई की मांग की गई थी। मामले के तथ्यों के अनुसार नाहिद हसन व नवाब के खिलाफ शामली जिले के कैराना थाने में 26 सितंबर 2019 को शाहजहां नामक महिला ने एफआईआर दर्ज कराई थी।
महिला का आरोप है कि उसके पति ने नवाब को 2015 में किराए पर वाहन दिया था। नवाब ने किराये का भुगतान नहीं किया तो उससे कहा गया। इस पर नवाब ने इकट्ठा देने को कहा रूप से देंगे। बाद में उसके पति ने उससे गाड़ी वापस करने को कहा। उसे पता चला कि वाहन विधायक नाहिद हसन के परिसर में खड़ा है। वह अपने पति के साथ वहां गई तो विधायक ने फोन करके उन्हें धमकी दी और वापस जाने के लिए कहा। उनके साथ दुर्व्यवहार भी किया गया और उन्हें जान से मारने की धमकी दी गई जिसके कारण उसके पति को दिल का दौरा पड़ा।
आरोप है कि नवाब के कहने पर नाहिद हसन ने शाहजहां के पति को फोन कर धमकी दी थी। जमानत के समर्थन में तर्क दिया गया कि मामूली अपराध है और वाहन सहअभियुक्त नवाब को किराये पर दिया गया था। याची को वाहन नहीं सौंपा गया था। याची वाहन के किराये का भुगतान करने के लिए जिम्मेदार नहीं था। याची का 17 मामलों का आपराधिक इतिहास लेकिन वे सभी छोटे मामले हैं और केवल राजनीतिक कारण से हैं। साथ ही याची 29 जनवरी 2022 से जेल में है।
सरकारी वकील ने जमानत प्रार्थना पत्र का विरोध करते हुए कहा कि याची द्वारा शाहजहां व उसके पति को दी गई धमकी की ऑडियो रिकॉर्डिंग है और उप निरीक्षक ने याची के परिसर से वाहन बरामद किया था। ऐसे में यह नहीं कहा जा सकता है कि याची का उक्त वाहन से कोई सरोकार नहीं था। इसके अलावा याची सम्मन तामील होने के बावजूद अदालत में पेश होने से बच रहा था। उसके बाद फिर से सम्मन भेजा गया जिसे उसके परिवार वालों ने प्राप्त करने से इनकार कर दिया।
याची के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया गया फिर भी वह निचली अदालत के समक्ष पेश नहीं हुआ। वह अन्य मामलों में भी संबंधित न्यायालयों के समक्ष पेश होने से बच रहा था। इस मामले में भी याची के मुकदमे में सहयोग नहीं करने, फरार होने, सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने और गवाहों को धमकी देने की अच्छी संभावना है। सुनवाई के बाद कोर्ट ने याची के आपराधिक इतिहास और ट्रायल कोर्ट के आदेश-पत्र से याची द्वारा परीक्षण में सहयोग न करने की संभावना को देखते हुए जमानत अर्जी खारिज कर दी।