इजराइल-हमास युद्ध के बहाने अमेरिका-ईरान भिड़ने को तैयार, कच्चे तेल में लग रही आग

कोविड के बाद दुनिया के सामने महंगाई एक बड़ी समस्या बनकर खड़ी हुई और इसमें आग लगाने का काम किया जब रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू हुआ. केंद्रीय बैंकों के हस्तक्षेप की बदौलत जब महंगाई पर लगाम लगनी शुरू हुई, तभी इजराइल और हमास के बीच संघर्ष शुरू हो गया. अब इसी के बहाने अमेरिका और ईरान भिड़ने की तैयारी में हैं. इस नई गणित ने पश्चिमी एशिया में तनाव बढ़ा दिया है और इससे कच्चे तेल की कीमतों में आग लगी हुई है, क्योंकि ईरान ओपेक देशों में तीसरा सबसे तेल उत्पादक है. देखना ये है कि आने वाले दिनों इससे पेट्रोल-डीजल की कीमतें आखिर कहां पहुंचती हैं…

ईरान और अमेरिका भिड़ने की तैयारी में

ईरान के हमास के पक्ष में उतरने के बाद अमेरिका और उसके सहयोगी देश भी उसके खिलाफ जवाबी कार्रवाई करने की तैयारी में हैं. वहीं हाल में इजराइल के सीरिया में ईरान के एक दूतावास पर हमला करने से ये तनाव और बढ़ गया है. जबकि इजराइल और हमास के बीच मिस्र के काहिरा में शुरू हुई नए दौर की वार्ता से संभावित सीजफायर की उम्मीद भी तब टूट गई, जब इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्याहू ने कहा कि गाजा के रफाह एनक्लेव में हमले की तारीख तय हो चुकी है.

इसने बाजार की बची हुई उम्मीदों पर भी पानी फेर दिया और ब्रेंट क्रूड ऑयल एक बार फिर 90 डॉलर प्रति बैरल के स्तर को पार कर गया है. जबकि वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट क्रूड ऑयल की कीमतों में भी बढ़त दर्ज की गई है और ये 85.85 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंच गया है.

पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगेगी आग?

भारत में लंबे वक्त से पेट्रोल-डीजल की कीमतों कोई बदलाव नहीं हुआ है. वहीं अभी देश में लोकसभा चुनाव चल रहे हैं, जिसकी वजह से जल्द इनकी कीमतों में बढ़ोतरी की उम्मीद नहीं है. लेकिन चुनाव बाद पेट्रोल-डीजल की कीमतों में हेरफेर देखने को मिल सकता है. इसकी वजह भारत का दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक होना है.

भारत अपनी जरूरत का 85 प्रतिशत कच्चा तेल आयात करता है. इसकी वजह से देश में पेट्रोल-डीजल की कीमत बहुत हद तक कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों पर निर्भर करती है. हालांकि सरकार इस पर टैक्स बढ़ाकर या घटाकर इसकी कीमतों को नियंत्रित करती है.

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