मुज़फ्फरनगर। जनपद में सोमवार को नगर पालिका की चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल को भ्रष्टाचार के आरोपों में शासन की ओर से राहत मिल गई है। हालांकि उन पर लगभग 2 लाख रुपए का गबन साबित हुआ। इसी के साथ चेतावनी जारी करते हुए प्रकरण को समाप्त कर दिया गया है। इस संबंध में कार्यालय आदेश देर शाम जारी हो गया है।
अपर मुख्य सचिव डॉ. रजनीश दुबे की ओर से जारी किए गए कार्यालय आदेश की प्रति चैयरपर्सन अंजू अग्रवाल को तामील कराई गई। बताया जाता है कि वर्ष 2019 में जनविकास सोसायटी के अध्यक्ष मोहम्मद खालिद व सभासद राजीव शर्मा ने प्रशासन को शिकायत की थी कि नगरपालिका में भर्ष्टाचार हो रहा है। नगर पालिका अधिनियम 1916 के विपरीत नगर स्वास्थ्य अधिकारी रविंद्र राठी को अधिकार दिए गए। ऑटो रिक्शा टेंपो शुल्क की वसूली के ठेके में भी लापरवाही का आरोप लगा। इसके अलावा शिकमी किराएदार के प्रकरण में भी लापरवाही की वजह से सरकारी खजाने को चुना लगाने का आरोप था। जिसको लेकर तत्कालीन जिलाधिकारी सेल्वा कुमारी जे ने अपनी जांच रिपोर्ट शासन को भेजी थी। जिसमें आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की गई थी। इस संबंध में अपर मुख्य सचिव डॉ.रजनीश दुबे की ओर से कार्यालय आदेश जारी हुआ। जिसमें शासन द्वारा लिए गए निर्णय की जानकारी देते हुए कहा गया कि इन प्रकरणों में आरोपियो के विरुद्ध पाए गए सभी आरोपों के दृष्टिगत नगरपालिका अधिनियम की धारा 48 के अंतर्गत उनसे 1 लाख 95 हज़ार की वसूली कराई जाएगी। उन्हें भविष्य में सचेत रहने की चेतावनी देते हुए प्रकरण को समाप्त कर दिया गया है। इसी के साथ अंजू अग्रवाल को राहत मिली है।
गौरतलब है कि कि प्रकरण शुरू होते ही अंजू अग्रवाल ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया था। भाजपा में रहते हुए भी उनके खिलाफ लगातार प्रचार हो रहा था कि शासन की ओर से उन पर बड़ी कार्रवाई होगी। भाजपा का भी एक बड़ा धड़ा उनके विरुद्ध कार्रवाई के लिए पैरवी कर रहा था।