बिहार में एक और विधायक ने छोड़ा तेजस्वी यादव का साथ, एनडीए में शामिल

इंडिया ब्लॉक को एक और बड़ा झटका देते हुए, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) विधायक भरत बिंद गुरुवार को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में शामिल हो गए। भरत बिंद 2020 में राजद में शामिल हो गए थे। इससे पहले वह बहुजन समाजवादी पार्टी (बसपा) के बिहार प्रमुख थे। इससे पहले राजद के प्रह्लाद यादव, चेतन आनंद, वीणा देवी, संगीता देवी और भरत बिंद एनडीए में शामिल हो चुके हैं। वहीं, 27 फरवरी को कांग्रेस के दो विधायक मुरारी गौतम और सिद्धार्थ सौरव एनडीए में शामिल हो गए थे। 

भरत बिंद ने कहा कि वह अपनी मर्जी से एनडीए में शामिल हुए हैं। उन्हें एनडीए की नीतियां पसंद आईं और उनमें आस्था है, इसलिए ये फैसला लिया। उन्होंने कहा कि मैं शामिल होना चाहता था इसलिए शामिल हुआ… हर कोई अपनी पार्टी ठीक से चला रहा है।’ मुझे नीतियों पर भरोसा है इसलिए आया हूं। भरत बिंद ने विधानसभा में सत्ता पक्ष में बैठने की मंशा जताने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की। भरत बिंद ने नीतीश कुमार को गुलदस्ता देकर जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं। गुलदस्ता भेंट करने के बाद उन्होंने मुख्यमंत्री के पैर छूकर आशीर्वाद लिया। 

यह नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के लिए बडी राहत की बात है। कांग्रेस के मुरारी गौतम महागठबंधन सरकार में भी मंत्री रहे हैं। वह चेनारी से विधायक है। इसके अलावा सिद्धार्थ सौरभ की बात करें तो वह विक्रम विधानसभा से विधायक हैं। वह काफी लंबे समय से कांग्रेस से नाराज भी चल रहे थे। उन्होंने भी पाला बदल दिया है और भाजपा में शामिल हो गए हैं। मोहनिया विधानसभा से राष्ट्रीय जनता दल के टिकट पर चुनाव जीतने वाली संगीता देवी भी अब भाजपा में शामिल हो गई हैं। आपको बता दें कि नीतीश कुमार के दोबारा एनडीए के साथ सरकार बनाने के बाद जो बहुमत परीक्षण हुआ था, उसमें एनडीए को मामूली बढ़त हासिल हुई थी। यही कारण है कि बिहार में इस बार नीतीश सरकार को बेहद कमजोर माना जा रहा था।

लेकिन इन विधायकों के पाला बदलने के बाद एक बार फिर से बिहार में सरकार को मजबूती मिलेगी। इन विधायकों ने ऐसे समय पर पाला बदला है जब बिहार के कई हिस्सों में ईडी की भी कार्रवाई चल रही है। बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली नवगठित राजग सरकार ने विधानसभा में ‘महागठबंधन’ के सदस्यों के बहिर्गमन के बीच विश्वास मत हासिल कर लिया था। बिहार की 243 सदस्यीय विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव के पक्ष में कुल 129 वोट पड़े जबकि विपक्षी सदस्यों ने सदन से बहिर्गमन किया। 

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