अमेरिका और ताइवान के बीच हुआ हथियारों का सौदा, तिलमिलाए चीन ने उड़ा दिए लड़ाकू विमान

बीजिंग। ताइवान और चीन की लड़ाई आज की नहीं बल्कि बहुत पुरानी हैं। चीन के दखल से स्वतंत्र होने के लिए ताइवान लंबे समय से संघर्श कर रहा है। आधी दुनिया ताइवान को स्वतंत्र देश मानती है लेकिन चीन इस अपना हिस्सा बताता है। चीन ताइवान के लेकर तब बेहद खफा हो जाता है जब ताइवान में अमेरिका का दखल बढ़ता है। हाल ही में अमेरिका और ताइवान के बीच हथियारों का सौदा हुआ जिससे चीन एक बार ताइवान पर फिर भड़क गया। ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने 26 अगस्त की सुबह कहा कि पिछले 24 घंटों में, उसने द्वीप के वायु रक्षा क्षेत्र में प्रवेश करने वाले 20 चीनी वायु सेना के विमानों का पता लगाया है, जिसमें ताइवान के प्रशांत पूर्वी तट पर उड़ाया गया एक लड़ाकू ड्रोन भी शामिल है।

ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने शनिवार को कहा कि अमेरिका की ओर से ताइवान को 50 करोड़ अमेरिकी डॉलर के हथियारों की बिक्री को मंजूरी मिलने के कुछ दिन बाद चीन ने द्वीप की ओर अपने दर्जनों विमान और जहाज भेजे हैं। रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि शुक्रवार सुबह छह बजे से शनिवार सुबह छह बजे के बीच 24 घंटे की अवधि में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के 32 विमानों और नौसेना के नौ जहाजों देखा गया।

ताइवान की सेना ने बताया कि इनमें से 20 विमानों ने ताइवान जलडमरूमध्य की मध्य रेखा को पार किया या ताइवान के वायु रक्षा क्षेत्र में घुस गए और इसके जवाब में ताइवान ने अपने विमान, जहाजों और मिसाइल को भी तैनात कर दिया। चीन स्वशासित ताइवान को एक विद्रोही प्रांत मानता है। पिछले साल भी चीन ने ताइवान की राजनीतिक गतिविधियों की प्रतिक्रिया में द्वीप के चारों ओर सैन्य अभ्यास बढ़ा दिया था।

इतना ही नहीं, पिछले सप्ताह ताइवान के उपराष्ट्रपति के पराग्वे के रास्ते में अमेरिका में रुकने के बाद भी चीन की सेना ने ‘कड़ी चेतावनी’ के रूप में द्वीप के आसपास सैन्य अभ्यास शुरू किया था। चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता झांग जियाओगांग ने शुक्रवार को कहा था कि चीन हथियारों की बिक्री की इस मंजूरी का विरोध करता है और यह चीन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप है।

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