कम दूरी वाली मिसाइल के 6800 करोड़ के दो प्रोजेक्ट पर काम कर रही सेना

चीन और पाकिस्तान के बीच सीमा पर तनाव के बीच भारतीय सेना कम दूरी की कंधे पर रखकर दागी जा सकने वाली मिसाइलों को विकसित करने की दो योजनाओं पर काम कर रही है। इन स्वदेशी वायु रक्षा प्रणालियों की लागत 6800 करोड़ रुपये से भी ज्यादा की है। साथ ही सेना 500 से अधिक लॉन्चर और करीबन 3000 मिसाइलों को विकसित करने और खरीदने की योजना है। सेना इन लॉन्चर और मिसाइलों को आत्मनिर्भर भारत के तहत देशी रूट्स से खरीदा जाएगा। 

रक्षा बलों के अधिकारियों ने इस बारे में जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि सेना अन्य हितधारकों के साथ मिलकर पुरानी इग्ला-1एम मिसाइलों के स्थान पर नई मिसाइलें हासिल करने की प्रक्रिया भी शुरू की है। मिसाइल खरीद में देरी की वजह से रूस से इग्ला मिसाइलें खरीदने का फैसला किया गया था।

रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि भारतीय सेना और भारतीय वायु सेना के पास वर्तमान में वेरी शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम मिसाइलें एलआर होमिंग मार्गदर्शन प्रणाली से लैस हैं। इसमें कम दूरी की इग्ला-1एम मिसाइल प्रणाली भी है। इसे 1989 में शामिल किया गया था और 2013 में बदलने की योजना बनाई गई थी।

रक्षा बलों के अधिकारियों ने बताया कि इस समय 4800 करोड़ रुपये की एक परियोजना पर काम किया जा रहा है। इसका ठेका हैदराबाद की एक सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई और एक निजी क्षेत्र की पुणे स्थित फर्म को दिया गया है।इसके तहत इन कंपनियों को कम दूरी की मिसाइलों के लिए लेजर बीम विकसित करना है। इसका इस्तेमाल सेना सीमा पर शत्रु देशों के ड्रोन, लड़ाकू विमान और हेलिकॉप्टरों से निपटने में इस्तेमाल करेगी। इस परियोजना के तहत सेना और वायुसेना के लिए 200 लॉन्चर और 1200 मिसाइलें विकसित की जानी हैं।

वहीं, दूसरी परियोजना के तहत इंफ्रा रेड आधारित मिसाइल के डिजाइन और विकास का अनुबंध सरकारी क्षेत्र की कंपनी रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) को दिया गया है। डीआरडीओ निजी क्षेत्र की अपनी दो रक्षा सहयोगी कंपनियों के साथ इस परियोजना पर काम कर रहा है। 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here