महिला अधिकारियों को कर्नल के रूप में सूचीबद्ध करने से इनकार करने का सेना का रवैया मनमाना है। यह बात सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कही। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने महिला अधिकारियों के अधिकारों को खत्म करने के रवैये की निंदा की। साथ ही कोर्ट ने अधिकारियों को उनकी पदोन्नति के लिए विशेष चयन बोर्ड को फिर से बुलाने का निर्देश दिया है।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा, इस तरह का दृष्टिकोण उन महिला अधिकारियों को न्याय देने करने की आवश्यकता पर विपरित असर डालता है, जिन्होंने उचित अधिकार प्राप्त करने के लिए लंबी और कठिन लड़ाई लड़ी है। कर्नल के रूप में पैनल में शामिल होने के लिए महिला अधिकारियों के लिए सीआर की गणना के लिए जो कट ऑफ लागू किया गया है, वह मनमाना है क्योंकि यह इसके विपरीत है।
शीर्ष अदालत ने कहा, निर्धारित नीतिगत ढांचा यह स्पष्ट करता है कि नौ साल की सेवा के बाद सभी गोपनीय रिपोर्ट (सीआर) पर विचार किया जाना आवश्यक है। सुप्रीम कोर्ट ने इस दलील को भी खारिज कर दिया कि अधिकारियों को समायोजित करने के लिए रिक्तियों की संख्या अपर्याप्त है।
गौरतलब है कि अदालत ने अपने 21 नवंबर 2022 के आदेश में सेना अधिकारियों के बयान को दर्ज किया था कि हमारे फैसले के मुताबिक 150 रिक्तियां उपलब्ध कराई जानी थीं। 108 रिक्तियां भरी जा चुकी हैं। शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा, विशेष चयन बोर्ड 3बी (कर्नल के रूप में पदोन्नति के लिए) को इस फैसले से 15 दिन के भीतर फिर से गठित करने की प्रक्रिया शुरू की जाए। पिछले दो सीआर को छोड़कर सभी गोपनीय रिपोर्ट (सीआर) ध्यान में रखा जाएगा। विवाद को कम करने के लिए अटॉर्नी जनरल का कहना है कि जून 2021 की कट ऑफ पर विचार किया जाना चाहिए।