आर्थिक सुधारों से आज बैंकिंग स्तिथि सुदृढ़: मोदी

नई दिल्‍ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को बिल्‍ड सिनर्जी फॉर सीमलेस क्रेडिट फ्लो एंड इकोनॉमिक ग्रोथ पर आयोजित सिम्‍पोजियम को संबोधित करते हुए कहा कि भारत तेज वृद्धि के लिए पूरी तरह तैयार है और इसका आधार भी मजबूत है। उन्‍होंने कहा कि पिछले छह-सात सालों में किए गए सुधारों की वजह से आज देश का बैंकिंग क्षेत्र मजबूत स्थिति में है। बैंकों की वित्‍तीय सेहत में सुधार हो रहा है। हमनें बैंकों के एनपीए की समस्‍या पर ध्‍यान दिया है, बैंकों को पूंजी उपलब्‍ध कराई है, दिवाला कानून लेकर आए हैं और ऋण वसूली प्राधिकरण को मजबूत बनाया है।

पीएम मोदी ने बकाया ऋण की रिकवरी पर कहा कि बैंकों ने तनावग्रस्‍त ऋणों से 5 लाख करोड़ रुपये से अधिक की रिकवरी की है। नेशनल असेट रिकंस्‍ट्रक्‍शन कंपनी के माध्‍यम से 2 लाख करोड़ रुपये की तनावग्रस्‍त संपत्ति का समाधान होने की उम्‍मीद है।

पीएम मोदी ने उनकी सरकार द्वारा बैंकिंग सेक्‍टर के लिए किए गए सुधारों पर बोलते हुए कहा कि बैंकों के पास पर्याप्‍त तरलता है और उनके एनपीए का स्‍तर भी निरंतर कम हो रहा है। उन्‍होंने कहा कि बैंकों को संपत्ति निर्माताओं और रोजगार सृजन करने वालों का समर्थन करना चाहिए और देश की बैलेंशसीट को बढ़ाने के लिए सक्रियता से काम करना चाहिए।

पीएम मोदी ने कहा कि सरकार ने बीते 6-7 वर्षों में बैंकिंग सेक्टर में जो सुधार किए, बैंकिंग सेक्टर का हर तरह से सपोर्ट किया, उस वजह से आज देश का बैंकिंग सेक्टर बहुत मजबूत स्थिति में है। बैंकों की वित्‍तीय सेहत अब काफी सुधरी हुई है। हम आईबीसी जैसे सुधार लाए, अनेक कानूनों में सुधार किए, ऋण वसूली न्‍यायाधिकरण को सशक्त किया। कोरोना काल में देश में एक समर्पित तनावग्रस्‍त संपत्ति प्रबंधन इकाई का गठन भी किया गया।  

2014 के पहले की जितनी भी परेशानियां थीं, चुनौतियां थीं हमने एक-एक करके उनके समाधान के रास्ते तलाशे हैं। हमने एनपीए की समस्या को एड्रेस किया, बैंकों को पूंजी उपलब्‍ध कराई उनकी ताकत को बढ़ाया।  

आज भारत के बैंकों की ताकत इतनी बढ़ चुकी है कि वो देश की इकॉनॉमी को नई ऊर्जा देने में, एक बड़ा पुश देने में, भारत को आत्मनिर्भर बनाने में बहुत बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। मैं इस चरण को भारत के बैंकिंग सेक्टर का एक बड़ी उपलब्धि मानता हूं।

मोदी ने बैंकों से कहा कि आप अप्रूवर हैं और सामने वाला आवेदक, आप दाता हैं और सामने वाला याचक, इस भावना को छोड़कर अब बैंकों को पार्टनरशिप का मॉडल अपनाना  होगा। आप सभी पीएलआई स्कीम के बारे में जानते हैं। इसमें सरकार भी कुछ ऐसा ही कर रही है जो भारत के मैन्यूफैक्चर्स हैं, वो अपनी कैपेसिटी कई गुना बढ़ाएं, खुद को ग्लोबल कंपनी में बदलें, इसके लिए सरकार उन्हें प्रोडक्‍शन पर इनसेंटिव दे रही है। 

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