बरेली: शासन ने मुख्य अभियंता से छीना अतिरिक्त कार्यभार

पीलीभीत में सेतु निर्माण की टेंडर प्रक्रिया घोटाले में दोषी पाए गए तत्कालीन मुख्य अभियंता एसएम निसार से मेरठ पीडब्ल्यूडी के मुख्य अभियंता का अतिरिक्त कार्यभार छीन लिया गया है। फिलहाल वह प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के मुख्य अभियंता के मूल पद पर ही रहेंगे। शासन ने फिलहाल उन्हें अतिरिक्त जिम्मेदारी से ही हटाया है, दोष के आधार पर कार्रवाई नहीं हुई है। इधर, शिकायतकर्ता सतीश चंद्र दीक्षित का कहना है कि उन्हें दोषियों के खिलाफ कार्रवाई का इंतजार है।

घोटाले की लोकायुक्त की जांच में 20 सितंबर को एमएम निसार दोषी पाए गए थे। लोकायुक्त के सचिव अनिल कुमार सिंह ने मुख्य सचिव को पत्र भेजकर कार्रवाई के लिए कहा था। तब शासन ने बरेली पीडब्ल्यूडी के मुख्य अभियंता संजय कुमार तिवारी से 17 नवंबर को कार्रवाई के लिए आख्या मांगी थी। मुख्य अभियंता ने आख्या भेज दी है। अब शासन स्तर से ही निर्णय होना है।

इसी क्रम में शासन के विशेष सचिव कामता प्रसाद ने दो दिसंबर को जारी आदेश में बताया कि 31 जुलाई को मेरठ में पीडब्ल्यूडी मुख्य अभियंता के न होने पर पीएमजेएसवाई के मुख्य अभियंता एमएम निसार को प्रभार सौंपा गया था। अब इसका अतिरिक्त कार्यभार मुरादाबाद के मुख्य अभियंता संभालेंगे। 

यह था मामला 
पीलीभीत के बीसलपुर-खुदागंज मार्ग स्थित रपटुआ नाले पर 5.14 करोड़ रुपये की लागत से लघु सेतु निर्माण के लिए अभियंताओं ने चहेती फर्म मैसर्स एएम बिल्डर्स को लाभ पहुंचाने के लिए नियमों को ताक पर रखा था। बदायूं के सतीश चंद्र दीक्षित की फर्म को टेंडर नहीं मिला था। 

शिकायत पर हुई जांच में लोकायुक्त ने तत्कालीन मुख्य अभियंता डीके मिश्र, एमएम निसार व अधीक्षण अभियंता हरस्वरूप सिंह को दोषी पाया था। साथ ही पीलीभीत के तत्कालीन अधिशासी अभियंता अनिल राना को नियम विरुद्ध संस्तुतियों और बदायूं के तत्कालीन अधिशासी अभियंता हेमंत सिंह को सतीश चंद्र दीक्षित की फर्म का अनुभव प्रमाणपत्र निरस्त करने का जिम्मेदार बताया।

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