पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी वी आनंद बोस और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच कोल्ड वार लगातार जारी है। कभी राज्यपाल तो कभी सीएम एक दूसरे पर निशाना साधने का मौका बिल्कुल नहीं छोड़ रहे। वहीं, एक बार फिर राज्यपाल सी वी आनंद बोस ने ममता बनर्जी पर तीखा हमला किया है। उन्होंने कहा कि वह हमेशा राज्य सरकार के साथ हमेशा सहयोग करेंगे लेकिन वे कुछ भी करें, तो उसका समर्थन नहीं हो सकता और कहा कि एक दूसरे के लिए ‘लक्ष्मण रेखा’ खींचने की कोशिश न की जाए।
हर किसी की एक लक्ष्मण रेखा होती है, उसको पार न करें
उन्होंने सोमवार को कहा कि किसी भी राज्य में मुख्यमंत्री राज्यपाल का सम्मानित संवैधानिक सहयोगी होता है। लोकतंत्र में सरकार का चेहरा निर्वाचित मुख्यमंत्री होता है, मनोनीत राज्यपाल नहीं। साथ ही कहा कि प्रत्येक को अपने दायरे में अपनी भूमिका निभानी चाहिए। हर किसी की एक ‘लक्ष्मण रेखा’ होती है, ‘लक्ष्मण रेखा’ को पार न करें और सबसे महत्वपूर्ण बात, दूसरे के लिए ‘लक्ष्मण रेखा’ खींचने की कोशिश न करें, यही है सहकारी संघवाद की भावना है।
सीएम ममता ने साधा था निशाना
इससे पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को आरोप लगाया था कि राज्यपाल बोस संवैधानिक मानदंडों का उल्लंघन कर रहे हैं, और वह उनकी असंवैधानिक गतिविधियों का समर्थन नहीं करती हैं। गवर्नर को चेतावनी देते हुए कहा था कि वह चुनी हुई सरकार से पंगा न लें। वह (गवर्नर) अपने दोस्तों को विश्वविद्यालयों के कुलपति नियुक्त कर रहे हैं।
इस पर जवाब देते हुए गवर्नर आनंद बोस ने बताया कि विश्वविद्यालय के कानून में यह नहीं कहा गया है कि कुलपतियों को आवश्यक रूप से शिक्षाविद होना चाहिए। उन्होंने कहा कि मैंने एक पूर्व मुख्य न्यायाधीश और एक सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी को उनकी योग्यता के कारण कार्यवाहक वीसी के रूप में नियुक्त किया है और विश्वविद्यालय के कानून के अनुसार, किसी को भी अंतरिम वीसी के रूप में नियुक्त किया जा सकता है।
राज्यपाल ने दिया जवाब
राज्यपाल ने बताया कि कलकत्ता उच्च न्यायालय ने कहा है कि कुलपतियों की नियुक्ति पर राज्यपाल को राज्य सरकार से परामर्श करने की आवश्यकता है, लेकिन उन्होंने यह भी कहा है कि उन्हें कुलपतियों की नियुक्ति में राज्य की सहमति की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रतिष्ठित विदेशी विश्वविद्यालयों, आईआईएम और आईआईटी में शीर्ष शैक्षणिक पदों पर पश्चिम बंगाल के कई लोग हैं जो राज्य की सेवा करने में रुचि रखते हैं, हम देखेंगे कि हम राज्य को एक संपन्न शैक्षिक केंद्र कैसे बना सकते हैं।
पश्चिम बंगाल के राज्य-संचालित विश्वविद्यालयों के चांसलर के रूप में, राज्यपाल ने कर्नाटक के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एसके मुखर्जी को रवीन्द्र भारती विश्वविद्यालय के अंतरिम वीसी और सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी एम वहाब को आलिया विश्वविद्यालय के अंतरिम वीसी के रूप में नियुक्त किया है।