कर्पूरी ठाकुर को भारतरत्न: हंगामा क्यूं है बरपा ?

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बिहार के लोकप्रिय नेता और सामाजिक न्याय के पुरोधा कर्पूरी ठाकुर की 100वीं जयंती पर उन्हें देश के सर्वोच्च अलंकरण ‘भारतरत्न’ से सम्मानित किया है। मोदी सरकार के इस निर्णय का देशभर में व्यापक स्वागत हुआ है।

जो मीडिया सदा हर कार्य, हर निर्णय को जातिवादी तथा चुनावी नज़रिये से देखने का अभ्यस्त हो चुका है, वह इसे मोदी का मास्टरस्ट्रोक बता रहा है। विशेष रूप से बिहार की राजनीति में मोदी सरकार के इस निर्णय पर खलबली मची हुई है।

पिछली पीढ़ी के लोग कर्पूरी ठाकुर और पिछड़ों-वंचितों के उत्थान-कल्याण के लिए उनके योगदान से भलीभांति परिचित हैं। उन्हें भारतरत्न के सर्वोच्च अलंकरण से मरणोपरांत अलंकृत किया जाना एक श्रेष्ठ और न्यायकारी निर्णय है। उनके विषय में मीडिया में अनेक जानकारियां आ रही हैं। पिछड़े, अति पिछड़े और वंचितों के लिए कर्पूरी ठाकुर ने जो कुछ किया है, उसके लिए वे इतिहास में अमर हैं। उनकी कथनी-करनी एक जैसी थी। गरीबों के प्रति उनका सेवाभाव व कर्तव्यनिष्ठा अनुपम थी। लालू यादव और नितीश कुमार जैसे नेता आज भी उनकी साख के बूते अपनी राजनीति की दुकान चला रहे हैं।

हमे यह अच्छी तरह स्मरण है कि जब उनके बेटे की शादी हुई थी तब बारात में कोई नेता, अभिनेता अथवा कथित बड़ा आदमी शामिल नहीं था, केवल निकट सम्बन्धी बारात में गए थे। कोई बड़ा प्रीतिभोज नहीं दिया गया था। एक घटना और याद है। जब कर्पूरी ठाकुर बिहार के मुख्यमंत्री बने, तब एक बड़े समाचारपत्र का संवाददाता उनके ग्राम पितौंझिया पहुंचे। झोपडीनुमा कच्चे मकान के सामने उनके पिता गोकुल ठाकुर बैठे मिले। उनके हाथ में एक छोटी सी संदूकड़ी थी, जिसमे हजामत बनाने के औजार थे। पत्रकार ने पूछा कि क्या आप आज भी हजामत बनाने का काम करते हैं तो उन्होंने कहा कि कर्पूरी का काम तो टेम्प्रेरी है, मेरा काम हर रोज का पक्का काम है, यह कभी छूटने वाला नहीं ! इस घटना से कर्पूरी ठाकुर और उनके परिवार की दशा और दिशा का पता चल जाता है।

भारतरत्न अथवा कोई भी पद्म पुरुस्कार मिलना बड़ा गौरवपूर्ण है किन्तु राजनीति के सड़े हुए दलदल में पड़े हुए लोग इस पर भी बदजुबानी करते हैं। लालू ने कहा है कि कर्पूरी तो मेरे गुरु थे, उन्हें इतनी देर में भारतरत्न क्यों दिया गया ? लालू यादव और उनकी पत्नी राबड़ी देवी मुख्यमंत्री बनीं, उनका बेटा उप मुख्यमंत्री है, बेटा कैबिनेट मंत्री है। क्या कभी इन्होंने कर्पूरी ठाकुर की शान बढ़ाने का कोई कार्य अपने जीवन में किया है ? कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश कहते हैं कि कर्पूरी ठाकुर को भारतरत्न मिलना मोदी सरकार की हताशा व पाखंड का प्रतीक है। राहुल गाँधी का मानना है कि कर्पूरी ठाकुर को भारतरत्न देकर मोदी ने प्रतीकवाद की राजनीति की है। अखिलेश यादव अपने पिता मुलायम सिंह यादव को पद्मविभूषण मिलने से संतुष्ट नहीं, वे भी भारतरत्न चाहते हैं। जब नरेंद्र मोदी सरकार ने प्रणव मुखर्जी को भारतरत्न से अलंकृत किया था तब सोनिया, राहुल, जयराम रमेश बहुत फड़फड़ाये थे। ग़ुलाम नबी आज़ाद को पद्मश्री मिलने से इन्हें पसीने छूट गए थे। उन्हें पात्र लोगों को राष्ट्र पुरस्कार मिलने पर अपना मानसिक संतुलन कायम रखना चाहिए।

गोविन्द वर्मा
संपादक ‘देहात’

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