22वीं बरसी पर बड़ी चूक, बड़ी साजिश

22 वर्ष पूर्व आज ही के दिन भारतीय संसद पर हमला हुआ। वीर सुरक्षा कर्मियों ने, जिनमें महिला भी शामिल थीं | आत्मोत्सर्म कर सांसदों व मंत्रियो के प्राणों की रक्षा की थी। इन शहीदों को श्रद्धा सुमन अर्पित करने के पश्चात जैसे लोकसभा का प्रश्न काल प्रारंभ हुआ, दर्शक दीर्घा से दो व्यक्ति सदन में कूद पड़े। इनमें से एक व्यक्ति कैसे मांसकों की डेस्क से कुस्कुद कर आगे बढ़‌ता है, कैसे सांसद मलूक नागर व हनुमान बेनीवाल आदि उसे पकड़‌ते हैं और कैसे वह जूता निकालता है उसका साथी बम फोड़कर कैसे धुवां-धुवां कर देता है, ये सारा नजारा लोकसभा टीवी के माध्यम से पूरा देश देखता है।

संसद की सुरक्षा में गम्भीर असावधानी व लापरवाही के साथ ही महाराष्ट्र से आई नीलम नाम की लड़‌की व उसका साथी अनमोल पीटीआई बिल्डिंग के पास ठीक उसी तरह के नारे जो संसद में घुसे दोनों युवकों ने लगाए थे, तानाशाही मुर्दाबाद कहते हैं। जैसे धुँवा बम लोकसभा के भीतर फोड़े गए, वैसे ही रंगीन धुँवा छोड़ने वाले बम ट्रांसपोर्ट भवन के पास भी छोड़े गए।

नीलम व अनमोल कौन हैं, उनका उद्देश्य क्या था, क्या संसद की घटना से उसके तार जुड़े हैं, इस सब की असलियत छुपने वाली नहीं। निश्चित रूप से संसद के भीतर और बाहर की घटनायें सुरक्षा में हद दर्जे की लापर‌वाही का प्रमाण है। इस पर लीपापोती से सुरक्षा एजेंसियों की चूक को नकारा नहीं जा सकता।

महाराष्ट्रियन नीलम जिस तरह हाथ उठा-उठा कर मानव अधिकारों को कुचलने और देश में तानाशाही स्थापित होने की बात कह रही थी, उसका साथी मुस्कराते हुए कैमरे पर अपना चेहरा दिखा रहा था, उससे प्रतीत होता है कि ये लोग हल्ला ब्रिगेड के सदस्य है। सोशल मीडिया पर नीलम का वीडियो आते ही उसे बहादुर लड़‌की बताया जाने लगा और अनमोल की तुलना भगत सिंह से होने लगी। टीएमसी के एक सांसद ने इसका तार महुआ से जोड़ दिया और मोदी को आरोपित करने लगे | आश्चर्य है कि ये वही लोग हैं, जो कहते नहीं थकते कि संसद पर हमले के मास्टर माइंड अफजल गुरु की न्यायिक हत्या की गई है।

13 दिसंबर, 2001 के बाद 13 दिसंबर 2023 की यह अति गंभीर घटना है। इसकी सभी पहलुओं से त्वरित जांच होनी चाहिए।

गोविन्द वर्मा

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