पटना. बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर इस सात नवंबर को होने वाले आखिरी चरण के चुनाव में सीमांचल के चार जिलों की 24 सीटों पर भी वोट डाले जाएंगे. पूर्णिया, किशनगंज, कटिहार और अररिया में मुस्लिम आबादी बड़ी है. सबसे खास यह है कि बांग्लादेशी शरणार्थियों की वजह से इलाके का जनसांख्यिकीय संतुलन बिगड़ने की बात सामने आती रही है. इस मुद्दे के आसरे भारतीय जनता पार्टी की राजनीति भी आगे बढ़ती रही है. ऐसे में इस बार घुसपैठ के मुद्दे पर भाजपा (BJP) कई बार प्रहार कर चुकी है और घुसपैठियों को देश से बाहर करने की बात कहती है. इस बार भी बीते तीन-चार रैलियों में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस मुद्दे को उठाया है और दावा किया है कि एनडीए (NDA) की सरकार बनेगी तो घुसपैठियों को भगाया जाएगा. वहीं, एनडीए का नेतृत्व कर रहे बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने साफ तौर पर कहा है कि ये बातें बकवास हैं.
बुधवार को जब बीजेपी के फायरब्रांड नेता, स्टार प्रचारक और यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ कटिहार में जनसभा करने पहुंचे तो उन्होंने साफ कहा कि अगर एनडीए में सत्ता में आई तो घुसपैठियों को बाहर कर दिया जाएगा . योगी ने कहा कि कटिहार घुसपैठ की समस्या से त्रस्त है. बिहार में एनडीए की सरकार बनने पर घुसपैठियों को निकाल बाहर करेंगे.
बता दें कि सीमांचल के इलाके में होने वाले मतदान से पहले असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने सीएए और एनआरसी को मुद्दा बना दिया है. मुस्लिम बहुत इलाके में यह मामला छाया हुआ है. बहरहाल, एनडीए के दोनों नेताओं के एक ही मुद्दे पर अलग-अलग बयान से मतदाताओं पर क्या असर पड़ेगा, यह तो 10 नवंबर को ही पता चल पाएगा, लेकिन इन बयानों से गठबंधन सहयोगी बीजेपी और जेडीयू की राय सीएए-एनआरसी के मुद्दे को लेकर एक नहीं लग रही है.