बिहार के सभी जिलों में राजद ने जातिगत जनगणना, आरक्षित कोटे से बैकलॉग के लाखों रिक्त पदों को भरने तथा मंडल आयोग की शेष अनुशंसाओं को लागू कराने की मांगों को लेकर राज्यव्यापी प्रदर्शन किया।
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शनिवार को नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा कि जातिगत जनगणना करवाने की मांग जात पात की राजनीति नहीं, बल्कि उपेक्षित, गरीब व वंचित समाज के उत्थान के लिए एक अत्यावश्यक सकारात्मक प्रगतिशील कदम है। देश में सामाजिक आर्थिक रूप से सबसे कमजोर ओबीसी, एससी, एसटी
अगर सबकी संख्या की सही जानकारी नहीं होगी तो उनके उत्थान के लिए प्रयास कैसे होंगे? कोई समूह यह ना समझे कि जातिगत जनगणना करवाना उनके हितों को दबाने वाला एक कदम होगा।
90 साल पहले हुई थी जातिगत जनगणना
देश में 1931 में जातिगत जनगणना हुई थी। उसके बाद कोई सही आंकड़ा सरकारों ने सामने नहीं आने दिया। जातिगत जनगणना सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन का सशक्त माध्यम हैं। जातीय जनगणना से समाज के अंतिम पायदान पर खड़े सामाजिक समूहों को आगे आने का विश्वसनीय अवसर मिलेगा।