चाइनीज मांझे की बिक्री रोक पाने में असफल पुलिस और जिला प्रशासन की नाकामी का खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है। जस्सूसर गेट निवासी गिरिराज राठी अपनी बाइक से बाजार जा रहे थे। इस दौरान चौखूंटी पुलिया के पास वे चाइनीज मांझे की चपेट में आकर खून से लथपथ हो गए।
उनकी हालत देखकर पास से गुजर रहे लक्ष्मण सोनी ने गिरिराज राठी को अस्पताल पहुंचाया। डॉक्टरों ने गिरिराज की गंभीर हालत को देखते हुए उसका ऑपरेशन शुरू किया। गिरिराज की आंखों, चेहरे पर 30 टांके आए हैं। चिकित्सकों के अनुसार अब गिरिराज राठी की हालत ठीक है।
बीकानेर में अक्षय तृतीया पर पतंगबाजी की परंपरा है। इस दिन होने वाली पतंगबाजी के दौरान प्रतिबंधित होने के बावजूद चाइनीज मांझे का जमकर उपयोग होता है। चाइनीज मांझा खुदरा विक्रेताओं को साधारण मांझे से आधी कीमत में मिल जाता है। इसका एक किलो का पैकेट 300 रुपये में मिलता है, जबकि बाजार में साधारण मांझे का 500 ग्राम का पैकेट 450 रुपये तक में बिक रहा है।
खास बात ये है कि चाइनीज मांझा साधारण मांझे से ज्यादा मजबूत होता है। यही वजह है कि इसकी मांग ज्यादा होती है। अक्षय तृतीया से पहले ही बीकानेर में पतंगबाजी शुरू हो जाती है और जगह-जगह सड़कों पर गिरने वाली इस डोर से लोग घायल भी होते हैं।
शहर में कई जगह चाइनीज डोर की बिक्री हो रही है। इसकी जानकारी पुलिस और प्रशासन दोनों को है, लेकिन चाइनीज मांझे की खरीद फरोख्त करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के बजाय पुलिस खानापूर्ति कर अपनी जिम्मेदारी से इतिश्री कर लेती है।