छत्तीसगढ़ विधानसभा में मंत्री टीएस सिंहदेव के इस्तीफे को लेकर भाजपा का हंगामा

मंत्री टीएस सिंहदेव के पंचायत विभाग से इस्तीफा देने को लेकर भाजपा के हंगामे के बीच छत्तीसगढ़ विधानसभा को बुधवार को दिनभर के लिए स्थगित कर दिया गया। उन्होंने दावा किया कि उन्हें किनारे किया जा रहा है। 

विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन विपक्षी भाजपा के सदस्यों ने इस मुद्दे पर सदन में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से एक बयान की मांग की जिसमें दावा किया गया कि राज्य में एक संवैधानिक संकट है क्योंकि एक मंत्री ने खुद सरकार के कामकाज पर कोई भरोसा नहीं व्यक्त किया था। 

‘मंत्री ने मुख्यमंत्री पर लगाए आरोप, ये एक गंभीर मुद्दा’
भाजपा विधायक बृजमोहन अग्रवाल, अजय चंद्राकार और पार्टी के अन्य विधायकों ने दावा किया कि एक मंत्री ने मुख्यमंत्री के खिलाफ आरोप लगाए हैं और यह एक गंभीर मुद्दा है। 

सदन में मौजूद नहीं सिंहदेव
हालांकि सिंहदेव गुजरात दौरे पर हैं इसलिए वे सदन में मौजूद नहीं थे। उन्हें इस साल के अंत में होने वाले गुजरात चुनावों के लिए कांग्रेस द्वारा पर्यवेक्षक के रूप में नियुक्त किया गया है। 

भाजपा विधायक बोले- मुख्यमंत्री को सदन में देना चाहिए  बयान
भाजपा विधायकों ने दावा किया कि संवैधानिक व्यवस्थाओं के मुताबिक, कैबिनेट और कार्यपालिका विधायिका के प्रति जवाबदेह है लेकिन राज्य सरकार इस मोर्चे पर विफल रही है। उन्होंने आगे कहा कि या तो संबंधित मंत्री (सिंहदेव) या मुख्यमंत्री को इस मुद्दे पर सदन में बयान देना चाहिए। सिंह देव की गैरमौजूदगी में मुख्यमंत्री को इस पर बोलना चाहिए। 

उन्होंने कहा कि सिंहदेव ने बघेल को लिखे अपने पत्र में दावा किया कि उन्हें स्वतंत्र रूप से काम करने की अनुमति नहीं दी जा रही है और उन्होंने मुख्यमंत्री के प्रति अविश्वास व्यक्त किया है। 

भाजपा सदस्यों ने कहा कि यहां तक कि मंत्री ने भी दावा किया है कि मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति का गठन कार्य के नियम के विरुद्ध पंचायत विभाग के काम को मंजूरी देने के लिए किया गया था और महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत काम करने वाले कर्मचारियों द्वारा हड़ताल करने की साजिश रची गई थी। 

विस स्पीकर ने पूछा- एक मंत्री का मुख्यमंत्री को लिखा पत्र कैसे संवैधानिक संकट का विषय बन गया?
उन्होंने कहा कि यह संविधान और नियम के खिलाफ है कि एक मुख्य सचिव किसी मंत्री को अंतिम मंजूरी देता है। हालांकि विधानसभा स्पीकर चरण दास महंत ने पूछा कि विपक्षी सदस्य किस नियम के तहत यह मुद्दा उठा रहे हैं। उन्होंने पूछा- एक मंत्री का मुख्यमंत्री को लिखा पत्र कैसे संवैधानिक संकट का विषय बन गया है? महंत ने कहा कि विधानसभा को अबतक किसी मंत्री का इस्तीपा स्वीकार करने के संबंध में कोई सूचना नहीं मिली है। 

विपक्ष के नेता धर्मपाल कौशिक और अन्य विपक्षी सदस्यों ने कहा कि जब तक इस मुद्दे का समाधान नहीं हो जाता और मुख्यमंत्री सदन में एक बयान लेकर नहीं आते, तब तक विधानसभा की आगे की कार्रवाई नहीं होनी चाहिए।

हंगामे के बीच सदन को दस मिनट के लिए स्थगित कर दिया गया। कार्यवाही फिर शुरू होने के बाद विपक्षी सदस्यों ने फिर मुद्दा उठा और मुख्यमंत्री बघले से बयान मांगा।

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