त्योहारी सीजन है लोग खुशियों की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन प्याज की कीमतों ने खुशियों पर ग्रहण लगा दिया है। देश के अलग अलग हिस्सों में मौजूद मंडियों में प्याज की कीमतें आसमान छूने लगी हैं, जिसकी वजह से हालात ये हैं कि खुदरा दुकानों में प्याज लोगों की जेब पर भारी पड़ने लगा है। इस बीच केंद्र सरकार ने प्याज की घरेलू आपूर्ति बढ़ाने और कीमतों पर लगाम लगाने के लिए 15 दिसंबर तक आयात के नियमों में राहत देने का फैसला किया है।
केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के मुताबिक इसके साथ ही सरकार ने प्याज की कीमत को काबू में लाने के लिए बनाए गए भंडार (बफर स्टॉक) से इस सब्जी की अधिक मात्रा बाजार में लाने का फैसला किया है। बुधवार को जारी एक आदेश के मुताबिक, कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए बफर स्टॉक से ज्यादा प्याज बाजार में आपूर्ति करने का भी फैसला किया गया है। सरकार ने बुधवार को एक बयान जारी कर यह जानकारी दी।
बता दें कि प्याज की कीमतों में हाल के दिनों में काफी तेजी आई है। मंत्रालय द्वारा जारी एक आदेश में कहा गया है कि करीब 37 लाख टन की खरीफ की फसल मंडियों में पहुंचने की संभावना है। पिछले 10 दिनों में प्याज की कीमतों में 11.56 रुपये प्रति किलोग्राम की तेजी देखने को मिली है। भारतीय खुदरा कीमत 51.95 रुपये प्रति किलोग्राम तय की है, जो पिछले साल की कीमत से 12.13 प्रतिशत अधिक है। भारतीय उच्च आयोगों को निर्देश दिया गया है कि वे संबंधित देशों में व्यापारियों से संपर्क कर देश में अधिक प्याज आयात के लिए प्रेरित करें।
महाराष्ट्र देश का सबसे बड़ा प्याज उत्पादक राज्य है। नासिक में इस वक्त प्याज की कीमत बढ़कर 66 रुपये प्रति किलो पर जा पहुंची थी। एक साल पहले इसी वक्त प्याज 35 रुपये प्रति किलो पर बिक रही थी। प्याज की देश में उपलब्धता बेहतर करने और बढ़ती कीमतों पर लगाम कसने के लिए सरकार ने पिछले महीने इसके निर्यात पर रोक लगा दी। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक दक्षिण और पश्चिमी क्षेत्रों में प्याज की खुदरा कीमतों में काफी उछाल है।
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मंगलवार को चेन्नई में प्याज की खुदरा कीमतें 73 रुपये प्रति किलो पर पहुंच गईं थी। जबकि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्याज 50 रुपये प्रति किलो, कोलकाता में 65 रुपये प्रति किलो और मुंबई में 67 रुपये प्रति किलो पर बिक रही है। एक्सपर्ट और ट्रेडर्स का मानना है कि दक्षिण और पश्चिमी क्षेत्रों में भारी बारिश की वजह से सप्लाई में रुकावट पैदा हुई और खरीफ फसल की आवक प्रभावित हुई, जो कि आने वाले हफ्तों में शुरू होने वाली है।