बांग्लादेश में कट्टरपंथी सोच का दायरा दिनों-दिन व्यापक होता जा रहा है। हाल ही में नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर के पैतृक आवास ‘कचहरीबाड़ी’ में हुई तोड़फोड़ की घटना ने देश में सांस्कृतिक विरासतों की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ा दी है। इससे पहले राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान के पुश्तैनी घर पर भी इसी प्रकार की हिंसा देखी जा चुकी है।
घटना सिराजगंज जिले के शहजादपुर उपजिला स्थित कचहरीबाड़ी में हुई, जो टैगोर परिवार की ऐतिहासिक संपत्ति रही है। बताया गया है कि एक आगंतुक और संग्रहालय के एक कर्मचारी के बीच पार्किंग शुल्क को लेकर विवाद बढ़ गया। यह झगड़ा उस समय उग्र रूप ले गया जब स्थानीय लोगों को इस घटना की जानकारी मिली और उन्होंने विरोध दर्ज कराते हुए प्रदर्शन किया।
स्थिति तब और बिगड़ गई जब बड़ी संख्या में लोगों ने संग्रहालय परिसर में घुसकर सभागार को क्षति पहुंचाई और कथित रूप से संस्थान के निदेशक के साथ हाथापाई की। घटना के बाद पुरातत्व विभाग ने तीन सदस्यों की एक जांच समिति गठित की है, जिसे पांच कार्यदिवसों में रिपोर्ट सौंपनी है। साथ ही, फिलहाल संग्रहालय को आगंतुकों के लिए बंद कर दिया गया है।
कचहरीबाड़ी न केवल ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि साहित्यिक दृष्टि से भी विशिष्ट स्थान रखता है। यहीं पर रवींद्रनाथ टैगोर ने अपने जीवन के कई महत्वपूर्ण वर्ष बिताए और ‘गोरा’, ‘घरे-बाइरे’ तथा ‘नष्ट नीड़’ जैसी कालजयी रचनाएं लिखीं। इस हवेली को बाद में सांस्कृतिक धरोहर के रूप में संरक्षित किया गया, जहां टैगोर के जीवन और कृतित्व से जुड़ा संग्रहालय संचालित होता है।
कचहरीबाड़ी के संरक्षक मोहम्मद हबीबुर रहमान ने जानकारी दी कि मौजूदा हालात को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था सख्त की गई है और परिसर की निगरानी आधिकारिक रूप से की जा रही है।