जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती 7 फरवरी 2023 को चेले-चपाटों के साथ दिल्ली आईं और उप राज्यपाल मनोज सिन्हा के आदेश पर कश्मीर के 20 जिलों में सार्वजनिक जमीनों पर अवैध कब्जों के विरुद्ध चलाये जा रहे अभियान को रोकने के विरुद्ध राजधानी की सड़कों पर प्रदर्शन किया। महबूबा और उनके चेले ‘गुंडाराज खत्म करो’ जैसे नारे लगाते हुए उप-राज्यपाल को बर्खास्त करने और कब्जा विरोधी अभियान रोकने की मांग कर रहे थे। दिल्ली पुलिस ने निषेधाज्ञा भंग करने के अपराध में महबूबा को गिरफ्तार कर लिया किन्तु शाम को रिहाकर दिया।
सरकारी भूमि से अवैध कब्जे हटाने की उप-राज्यपाल की मुहिम से अब्दुल्ला व मुफ्ती परिवार के मुखिया बौखलाये हुए हैं। वे आरोप लगा रहे हैं कि गरीब, मज़लूम और पसमांदा लोगों के आशियाने तोड़ कर जुल्मो सितम ढाया जा रहा है। जम्मू-कश्मीर शासन ने सरकारी जमीनें कब्जाने वालों की जो सूची मीडिया को जारी की है उसमें किसी गरीब किसान, मजदूर, छोटे दुकानदार या फेरी खोमचा लगाने वाले का नाम नहीं है। इसके उलट फारूक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती की सरकारों में मंत्री रहे मंत्रियों, विधायकों के नाम हैं। अब्दुल्ला व मुफ्ती सरकारों के दौरान बड़े ओहदों पर तैनात ब्यूरोक्रेट्स (अधिकारियों) और अमीरों के नाम है। फारुक अब्दुल्ला ने तो रोशनी एक्ट के नाम पर जंगलात व नहरवाई की जमीने दो रुपये गज की दर से एलाट करी थीं। इससे बड़ा पाखंड क्या हो सकता है कि सरकारी विज्ञापनों में छपवाया गया कि जमीन के लिए सिर्फ मुसलमान ही आवेदन करें। यह धर्म निरपेक्षता का ढोल बजाने वालों की करतूते हैं।
जम्मू-कश्मीर में अब तक एक लाख एकड़ सरकारी जमीन कब्जा मुक्त कराई जा चुकी है। राज्य में यह अभियान रुकने वाला नहीं है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दबंगों, माफियाओं से अब तक 64 हजार एकड़ भूमि कब्जा मुक्त कराई है। ऐसा अभियान पूरे देश में चलना चाहिए।
गोविंद वर्मा
संपादक ‘देहात’