गोरखपुर। 2008 में मृत मऊ जिले के मूल निवासी रामविजय त्रिपाठी को जिंदा साबित कर नगर निगम के दस्तावेज में नाम चढ़ा दिया गया। आरोप है कि जमीन और संपत्ति को हड़पने के लिए प्रदीप कुमार त्रिपाठी ने पत्नी सुजाता और रामविजय के बेटे संतोष के साथ मिलकर जालसाजी की। जिसमें नगर निगम के संबंधित कर्मचारियों की भी मिलीभगत है। एसएसपी के आदेश पर रामगढ़ताल पुलिस ने कूटरचित दस्तावेज तैयार कर जालसाजी करने की धाराओं में केस दर्ज कर लिया है।
बेतियाहाता निवासी अभिषेक त्रिपाठी ने दी तहरीर में लिखा है कि रामविजय की छह दिसंबर 2008 को मौत हो गई थी। लेकिन, उनकी संपत्ति को हड़पने के लिए उनके बेटे संतोष ने चचेरे भाई प्रदीप कुमार, पत्नी सुजाता के साथ मिलकर नगर निगम के दस्तावेज में फर्जी तरीके से नाम दर्ज करा लिया। साबित किया गया कि रामविजय जिंदा हैं। जबकि, उनकी मौत हो गई थी। 26 मार्च 2021 को दस्तावेज में नाम दर्ज किया है। इसकी जानकारी होने के बाद अभिषेक त्रिपाठी ने एसएसपी के पास प्रार्थना पत्र देकर केस दर्ज करने की मांग की। जांच के बाद एसएसपी के आदेश पर रामगढ़ताल पुलिस ने केस दर्ज कर लिया। प्रभारी निरीक्षक शशिभूषण राय ने बताया कि तहरीर के आधार पर केस दर्ज कर लिया गया है। साक्ष्यों और जांच के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।