कैबिनेट सचिव राजीव गौबा को 1 साल का सेवा विस्तार मिला

केंद्रीय कैबिनेट सचिव राजीव गौबा को मोदी सरकार ने एक साल का सेवा विस्तार दिया है. राजीव गौबा 1982 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. केंद्रीय कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने गौबा को कैबिनेट सचिव के रूप में 30 अगस्त के आगे एक साल की अवधि के लिए सेवा विस्तार की मंजूरी दी है.

पीके सिन्हा की सेवानिवृत्ति के बाद राजीव गौबा ने 30 अगस्त 2019 को भारत सरकार में नए कैबिनेट सचिव के रूप में पदभार संभाला था. वह झारखंड कैडर (1982 बैच) के आईएएस अधिकारी हैं और उन्होंने केंद्रीय गृह सचिव, शहरी विकास मंत्रालय के सचिव और झारखंड के मुख्य सचिव जैसे अहम पदों पर काम किया है. उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष में भारत का प्रतिनिधित्व भी किया है.

वामपंथी उग्रवाद से निपटने के लिए तैयार की थी योजना

कैबिनेट के आधिकारिक विज्ञप्ति के मुताबिक, गौबा अपने नए कार्यभार के लिए केंद्र और राज्य सरकारों के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय संगठनों में सुरक्षा, शासन और वित्तीय कार्यक्षेत्र में समृद्ध और व्यापक अनुभव लेकर आए हैं. गौबा आर्टिकल 370 को निरस्त करने और जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन के केंद्र के फैसले में जरूरी इंप्लीमेंटर्स में से एक थे. उन्हें फैसलों के सुचारू कार्यान्वयन के लिए हमेशा से श्रेय दिया जाता रहा है.

एक छोटी कोर टीम के साथ उन्होंने प्रशासनिक और सुरक्षा व्यवस्थाओं को तैयार करते हुए संवैधानिक और कानूनी पहलुओं को अंतिम रूप दिया. इससे पहले, गृह मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने 2015 में वामपंथी उग्रवाद से निपटने के लिए एक बहु-आयामी कार्य योजना तैयार की थी और इसके कार्यान्वयन को आगे बढ़ाया था, जिसके बाद माओवादियों के प्रभाव क्षेत्र का प्रसार कम हो गया.

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष में भी किया काम

गृह मंत्रालय के अलावा, गौबा ने शहरी विकास, रक्षा, पर्यावरण और वन, और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग जैसे क्षेत्रों में केंद्र सरकार में काम किया है. झारखंड के मुख्य सचिव के रूप में गौबा ने प्रमुख शासन और आर्थिक सुधारों की शुरुआत की. जिसमें पुनर्गठन, मंत्रालयों का आकार कम करना और श्रम सुधार शामिल थे. गौबा ने आईएमएफ के बोर्ड में चार साल तक देश का प्रतिनिधित्व करने वाले अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष में भी काम किया है.

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